नई दिल्ली (पीटीआई)।  अयोध्या मामले में मुस्लिम पार्टियों ने गुरुवार को यू टर्न लिया। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 2003 की रिपोर्ट की ऑथरशिप पर उठाए गए सवाल और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए माफी मांगी।  प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीश की संविधान पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन द्वारा कहा गया कि वे एएसआई रिपोर्ट की ऑथरशिप और समरी पर कोई सवाल नहीं करना चाहते हैं।

ऑथरशिप और समरी पर सवाल उठाने की जरूरत नहीं

मुस्लिम पार्टियों का प्रतिनिधित्व करने वाले धवन ने कहा कि यह उम्मीद नहीं की जाती है इसके हर पन्ने पर साइन हो। रिपोर्ट की ऑथरशिप और समरी पर सवाल उठाने की आवश्यकता नहीं है। जिस रिपोर्ट की बात की जा रही है, उसका एक लेखक है और हम लेखन पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। अगर हमने कोर्ट का समय बर्बाद किया है, तो हम इसके लिए माफी मांगते हैं। बुधवार को, वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने भी मुस्लिम पक्षों का प्रतिनिधित्व करते हुए हुए सवाल उठाए।

कोर्ट द्वारा स्वीकार सबूत खारिज नहीं किया जा सकता

मीनाक्षी अरोड़ा ने एएसआई की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा था कि हर चैप्टर एक राइटर ने लिखा है लेकिन समरी में किसी का जिक्र नहीं है।वही आज पीठ ने कहा कि धवन ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में कहा है कि उन्होंने रिपोर्ट पर सवाल करने का अपना अधिकार छोड़ा नहीं है लेकिन कोर्ट द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद सबूत को खारिज नहीं किया जा सकता है। पीठ ने पक्षकारों से कहा कि वे दलीलें पूरी होने की डेटलाइन बताएं। 18 अक्टूबर के बाद अतिरिक्त दिन नहीं होगा।

अब इस मामले की सुनवाई की डेडलाइन नहीं बढ़ेगी

अयोध्या केस की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ किया कि अब सुनवाई की डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी। वहीं इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, अगर हम इस मामले में चार सप्ताह में फैसला सुना देते हैं तो यह चमत्कारिक होगा। सुप्रीम काेर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों से कहा कि वे एएसआई रिपोर्ट पर दलीलें दिन में ही पूरी करें। उसने कहा कि अक्टूबर में बहुत छुट्टियां हैं और चार हिंदू पक्षकारों के केवल एक वकील को प्रत्युत्तर दलीलें देने की परमीशन दी जाएगी।

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