कानपुर। Ayodhya Case Verdict 2019 देश के चर्चित मंदिर और मस्जिद मामले को करीब 166 साल हो गए हैं। आज इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है। पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, अशोक भूषण, डी वाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नाजीर शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक जानें इन पांच जस्टिस के बारे में...

ayodhya case verdict 2019: ये हैं वो 5 जस्टिस,जिन्होंने अयोध्या मामले में सुनाया फैसला

रंजन गोगोई

जस्टिस रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर, 1954 को हुआ। जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की। उन्होंने मुख्य रूप से गौहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की। 28 फरवरी, 2001 को गौहाटी हाई कोर्ट के परमानेंट जज नियुक्त हुए थे।  9 सितंबर, 2010 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर किए गए। 12 फरवरी, 2011 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट  के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त हुए। 23 अप्रैल 2012 को रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए। 3 अक्टूबर 2018 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने और आगामी 17 नवंबर को वह रिटायर हो रहे हैं।

ayodhya case verdict 2019: ये हैं वो 5 जस्टिस,जिन्होंने अयोध्या मामले में सुनाया फैसला शरद अरविंद बोबड़े

जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ। इन्होंने बीए और एलएलबी की डिग्री नागपुर विश्वविद्यालय से ली है। इन्होंने 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र ज्वाइन किया। इन्होंने करीब 21 साल तक बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की और 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। 29 मार्च, 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर एडिशनल जज बने। इन्होंने 16 अक्टूबर, 2012 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। इसके बाद 12 अप्रैल, 2013 को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए। जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे। रंजन गोगोई के बाद अगले चीफ जस्टिस होंगे।

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अशोक भूषण

ऐतिहासिक फैसला सुनाने वालों में जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल हैं। इनका जन्म 5 जुलाई, 1956 को जौनपुर (जिला), उत्तर प्रदेश में हुअा है। इन्होंने 1975 में कला में स्नातक, वर्ष 1979 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में लॉ डिग्री प्राप्त की। इन्होंने 6 अप्रैल, 1979 को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में एडवोकेट के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया। इसके बाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। 24 अप्रैल, 2001 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। इसके बाद 10 जुलाई, 2014 को केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में और 1 अगस्त, 2014 को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला। इसके बाद 26 मार्च 2015 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए।

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डी वाई चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का नाम भी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था। यह सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति होने तक 31 अक्टूबर 2013 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। 29 मार्च 2000 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति तक बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दुनिया की कई यूनिवर्सिटीज में लेक्चर दे चुके हैं। इसके अलावा वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। इन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी पूरा किया। इसके अलावाउन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल, यूएसए से एलएलएम की डिग्री और ज्यूरिडिकल साइंसेज (एसजेडी) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।

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एस अब्दुल नाजीर

जस्टिस एस अब्दुल नाजीर का जन्म 5 जनवरी 1958 को हुआ था। इन्होंने 18 फरवरी 1983 में कर्नाटक हाई कोर्ट में एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की।  एस अब्दुल नाजीर 12 मई 2003 में कर्नाटक हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त हुए।  24 सितंबर, 2004 को कर्नाटक हाई कोर्ट में उन्हें स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 17 फरवरी, 2017 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।

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