कानपुर। अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामला काफी पुराना है। इस मामले में मुस्लिम संगठनों का कहना है कि बाबर ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। वहीं हिंदू संगठनों का मानना है कि जहां पर बाबर ने मस्जिद बनवाई थी वहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था। इस तरह से देश के चर्चित मंदिर और मस्जिद मामले को करीब 166 साल हो गए है। आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। मिड डे की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां जानें कब-कब चर्चा में रहा अयोध्या...

1853:

मंदिर-मस्जिद मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई।

1859:

इन दंगाें काे ब्रिटिश सरकार ने इस मामले का संज्ञान लिया और मुस्लिमों व हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दी।

1949:

मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर भगवान राम की मूर्ति रखी दिखाई दी। कहा जाता है कि इन्हें वहां पर रखा गया था। इस बारे हिंदू संगठनों का दावा था कि ये मूर्तियां मस्जिद के अंदर चमत्कारिक रूप से प्रकट हुईं। इसका मुस्लिम संगठनाें ने विरोध किया और दोनों पक्षाें ने सिविल सूट दायर दायर कर दिया। इसके बाद सरकार ने परिसर को एक विवादित क्षेत्र घोषित कर दिया और द्वार पर ताला लगा दिया।

1984:

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने ताले खुलवाने का प्रयास किया। वीएचपी ने राम मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। इसका भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने नेतृत्व किया।

1986:

फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। पांच दशकों के बाद मस्जिद के द्वार खोले जाने का आदेश दिया।

अदालत के फैसले के एक घंटे से भी कम समय में द्वार खोले गए थे। इस पर नाराज मुस्लिम संगठनों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।

1989:  

विश्व हिंदू परिषद ने अभियान चलाया कि 'विवादित भूमि' के निकट मंदिर के निर्माण के लिए एक शिला या पत्थर स्थापित किया जाएगा।  नवंबर में, विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर की नींव रखी। इस दौरान भी इसका विरोध जारी रहा।

1990:

वीएचपी स्वयंसेवकों ने आंशिक रूप से मस्जिद को नुकसान पहुंचाया। तत्कालीन प्रधान मंत्री चंद्रशेखर ने वार्ता के जरिए विवाद को हल करने की कोशिश की लेकिन असफल रहे।

1991:

उत्तर प्रदेश राज्य में बीजेपी सत्ता में अाई जहां अयोध्या स्थित है। हालांकि केंद्र कांग्रेस की सरकार रही। इसके बाद भी ये विवाद बरकरार रहा।

6 दिसंबर 1992:

एक लाख से अधिक कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। इसमें हिंदू और मुस्लिमों के बीच राष्ट्रव्यापी सांप्रदायिक दंगे हुए। जिसमें 2,000 से ज्यादा लोग मारे गए।

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