नई दिल्ली (पीटीआई)। अयोध्या के राम-जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को एक बार फिर मध्यस्थता के जरिए सुलझाने की मांग हुई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अगर राम-जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में पक्षकार मध्यस्थता के जरिए मामले को सुलझाना चाहते हैं, तो वे अभी भी इसे आगे बढ़ा सकते हैं।

मध्यस्थता प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की मांग

मामले की सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की एक संविधान पीठ ने कहा कि उसे रिटायर्ड जस्टिस एफ एम आई कलीफुल्ला का लेटर मिला है। कलीफुल्ला तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने कहा है कि कुछ दलों ने मध्यस्थता प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए उन्हें लिखा है।

भूमि विवाद में कार्यवाही एडवांस स्टेज पर पहुंच गई

संविधान पीठ ने कहा कि भूमि विवाद मामले में दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही एक एडवांस स्टेज पर पहुंच गई है और यह जारी रहेगी। वहीं जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता प्रक्रिया अभी भी जारी रह सकती है लेकिन इसे लेकर  गोपनीयता बनी रहेगी। अगर मध्यस्थता से कोई बात बनती है तो इसकी रिपोर्ट कोर्ट को दी जाए।

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बता दें कि बीते 2 अगस्त को संविधान पीठ ने तीन सदस्य मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट पर गाैर किया था। इस दाैरान राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को सुलझाने में मध्यस्थता फेल पाई गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने  इस मामले में 6 अगस्त से हर रोज सुनवाई करने का आदेश दिया था।

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