मुंबई (मिड-डे)। Ayushmann Khurrana ने जिन लोगों को लगता है कि फैसला लेने में कई हफ्ते लगाए होंगे कि उन्हें शुभ मंगल ज्यादा सावधान मूवी को हरी झंडी देनी चाहिए या नहीं, उनके लिए इस एक्टर का जवाब है, 'यह बहुत आसान फैसला था क्योंकि यह स्क्रिप्ट बहुत फनी और कॉमर्शियल थी।' हालांकि, इस एक्टर का कहना है कि उन्होंने सेम-सेक्स लव स्टोरी वाली इस मूवी के लिए अपना किरदार चुनने में थोड़ा वक्त लगाया।

...क्योंकि 'विक्टिम' नहीं 'इंस्टिगेटर' बनना था

आयुष्मान कहते हैं, 'हितेश (कैवल्य, डायरेक्टर) ने मुझसे किरदार चुनने को कहा था। जीतू (जितेंद्र कुमार) का किरदार ज्यादा इंटरेस्टिंग था पर मैं इस बार 'विक्टिम' नहीं बल्कि 'इंस्टिगेटर' का रोल करना चाहता था। मेरा किरदार अपनी सेक्सुएलिटी को लेकर कॉन्फिडेंट है। वह रेयर है क्योंकि लोग उसकी सेक्सुअल ओरियंटेशन के बारे में क्या सोचते हैं, इससे उसे कोई फर्क नहीं पड ̧ता। छोटे किरदार निभाने में भी मुझे कोई परेशानी नहीं है।'

आप किसी 'गे' मर्द को कैसे पहचानेंगे?

अपने किरदार की बेहतर तैयारी के लिए इस एक्टर ने 'क्वीर लव' पर बेस्ड फिलिप बेसन की पॉपुलर बुक 'लाई विद मी' की मदद ली। आयुष्मान के मुताबिक, 'मैं जानना चाहता था कि एक 'गे' शख्स को रोज क्या-क्या फेस करना पड ̧ता है। मैं दिल्ली में शरीफ नाम के एक इंसान से मिला था, जिसने मुझे बताया कि एक 'हेट्रोसेक्सुअल' मर्द कहीं भी जाकर अपने लिए डेट तलाश सकता है। पर आप 'गे' मर्द को कैसे पहचानेंगे? उनके लिए प्यार तलाश पाना मुश्किल है।'

उम्मीद है कि थोड़ा बदलाव तो आएगा

इस एक्टर को उम्मीद है कि यह मूवी एक एवरेज इंडियन 'होमोफोबिक' की सोच बदलेगी। उन्होंने बताया, 'लोगों तक पहुंचने के लिए हमें मूवी में 'ओवर- द- टॉप' अप्रोच अपनानी पड़ी। मैं उम्मीद करता हूं कि लोग कहेंगे, 'चलो अपने लड ̧के लिए लड ̧का देखने चलें'। पेरेंट्स अगर यह समझ जाएं कि उनके बच्चे को अपने सच के साथ जीने का हक है तो यह भी एक बड़ी जीत होगी। इस फिल्म के जरिए हमने फोकस किया है कि कैसे एक फैमिली अपने बेटे के 'गे' होने के सच को अपनाती है।'

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