राज्यपाल के खिलाफ साक्ष्य एकत्र कर रहे
राज्यपाल राम नाईक के साथ बढ़ते मतभेदों को खत्म करने के लिए आजम खां अब एक अनोखा रास्ता अपनाने जा रहे हैं. वह राष्ट्रपति को इस मामले से जुड़ा एक पत्र लिखने जा रहे हैं. कभी अंग्रेजों के शासनकाल में भी गवर्नर को पत्र लिखा जाता था. हालांकि इस दौरान आजम खां राज्यपाल के खिलाफ साक्ष्य एकत्र कर रहे हैं और राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें सभी तथ्यों से अवगत कराएंगे. वहीं आजम खां ने भाजपा विधायक सुरेश राणा को जेड श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने पर भी टिप्पणी की. उन्होंने यहां तक कहा कि जब गुजरात में कत्लेआम कराने वाला बादशाह बन सकता है तो कुछ भी हो सकता है. आजम खां ने प्रधानमंत्री पर दोहरे एजेंडे का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एक ओर तो वह स्वयं सभी धर्मो के मानने वालों की सुरक्षा व विकास की बात करते हैं जबकि आरएसएस व भाजपा से जुडे अन्य संगठन घर वापसी व अधिक बच्चे पैदा करने जैसे मुद्दे उठाकर सामाजिक सौहार्द विषाक्त करने में लगे हैं. जो न किसी प्रदेश हित में है न देश हित में.

अखिलेश यादव का चुप्पी साधे रहना दुर्भाग्यपूर्ण
वहीं दूसरी ओर भाजपा ने आजम खां के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. भाजपा ने राज्यपाल राम नाईक से संसदीय कार्यमंत्री आजम खां द्वारा र्दुव्यवहार को मुद्दा बनाया है. कल बुधवार को न केवल अभिभाषण का बहिष्कार किया वरन मुख्यमंत्री से आजम को बर्खास्त करने की मांग भी की गयी. इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कल पत्रकारों से कहा कि आजम का आपत्तिजनक आचरण लोकतांत्रिक परंपरा के लिए चुनौती है. किसी राज्यपाल के साथ ऐसा दुर्व्यव्हार होना शर्मनाक है. सब कुछ जानकर भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का चुप्पी साधे रहना दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसे में साफ नजर आ रहा है है कि मुख्यमंत्री भी आजम खां को आगे करके राजभवन के खिलाफ अभियान को मजबूती दे रहे हैं.

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