पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। ज्येष्ठ मास का अपना अलग ही महत्व है।पुराणों में ज्येष्ठ माह का अपना विशेष महत्व बताया गया है। भविष्य पुराण,स्कन्द पुराण एवं ब्रह्म पुराण के अनुसार जेष्ठ माह के शुक्लपक्ष की दशमी को हस्त नक्षत्र में ही स्वर्ग से गंगा का आगमन हुआ था।इस माह जरूरत मंदों को जल व अन्य सामान का दान करने पर दरिद्रता दूर होती है।इस माह में शिव,नारायण दोनों को पूजने का विधान है। इस माह में पड़ने वाले मंगल की मान्यता अलग ही है।इस बार ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले मंगल कुछ विशेष ही हैं जिनमें पूजा-पाठ,दान-पुण्य का अधिक महत्व है।जिसकी कुंडली में मंगल अशुभ भावों में हो अथवा शनि की साढ़ेसाती हो एवं मंगलजनित दोष निवारण,कर्ज मुक्ति के लिये यह मंगलवार विशेष हैं।

तीसरे बड़े मंगल के दिन पंचमी पूर्णा तिथि
दिनाँक 15 जून 2021,मंगलवार को पड़ने वाले तीसरे बड़े मंगल के दिन पंचमी पूर्णा तिथि(लक्ष्मीप्रद) का बन रहा अति विशिष्ट योग जिसमे व्रत,पूजा-पाठ आदि की कार्य सिद्धि प्राप्त होगी।इस दिन आश्लेषा नक्षत्र पूरे दिन रहेगा।इस दिन सूर्य की 30 मुहर्ती मिथुन संक्रांति भी है जिसका पुण्य काल प्रातः काल 6:0 बजे मध्यान्ह तक रहेगा।मंगल-युद्ध का देवता,भूमि पुत्र कुछ उथल-पुथल मचाएगा।अतः इस दिन इन शुभ योगों में भजन-पूजन,भंडारा, दान-पुण्य का विशेष लाभ मिलेगा।

मिथुन संक्रांति - कालीन गोचर ग्रह स्तिथि
इस दिन से सौर आषाढ़ मास का आरंभ हो जाएगा।इस दिन गोचर में शनि-मंगल का बन रहा सम सप्तक योग अशांति का सूचक है।अग्निकांड,उपद्रव,मानसिक अशांति आदि से परेशानी बढ़ सकती है।जिसके निवारण इस बड़े मंगल के दिन शनि,मंगल मंत्र जाप,सुंदरकांड आदि का विशेष फल प्राप्त होगा।इन गोचर ग्रह स्तिथि में शेयर बाज़ार में भी बहुत उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।

पूजन का शुभ समय
प्रातः काल 7:10 बजे से मध्यान्ह 12:18 बजे तक "चर,लाभ,अमृत के चौघड़िया मुहूर्त में।
अपराह्न काल 1:59 से 3:42 बजे तक शुभ के चौघड़िया में।

इस दिन हनुमानाष्टक,बजरंग बाण, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड,आदि का पाठ करना अतिशुभ रहेगा।

-दिनाँक 15 जून 2021 को ज्येष्ठ माह के तीसरे "बुढ़बा मंगल" पर बन रहे अति विशिष्ट निम्न योग इस योग में पूजा-पाठ,दान-पुण्य कर करें मंगल को शान्त-
--सूर्य की 30 मुहर्ती "मिथुन संक्रांति" जिसका पुण्यकाल प्रातः 6:0 बजे से मध्यान्ह तक।
--पूर्णा तिथि का बन रहा अतिशुभ योग जोकि "लक्ष्मी प्रद" एवं किसी कार्य को पूर्ण सिद्ध करने वाली होती है
-- इस सम्वत के राजा हैं "मंगल" और मंत्री भी हैं "मंगल"
--ज्येष्ठ माह में बन रहा "मंगल-शनि" अशुभ सम-सप्तक योग-
--ज्येष्ठ माह में मंगल रहेगा अपनी नीच राशि कर्क में परिस्थितियों को करेगा विषम