चमोली (ब्यूरो)। इससे पहले गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट बंद किए जा चुके हैं। कपाट बंद होने के बाद भगवान बद्री नारायण की चल विग्रह उत्सव डोली मंडे को अपने शीतकालीन प्रवास स्थल योगध्यान बद्री मंदिर के लिए रवाना होगी। आखिरी दिन करीब 15 हजार लोगों ने बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए।

51 क्विंटल फूलों से सजाया मंदिर

बद्रीनाथ के कपाट बंद होने की प्रक्रिया संडे तड़के से ही शुरू हो गई थी। 51 कुंतल गेंदे के फूलों से सजे बद्रीनाथ मंदिर में तड़के बद्रीनाथ की नित्य पूजा और महाभिषेक किया गया। इसके बाद राजभोग व बालभोग लगाया गया। दोपहर तक श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करते रहे, दोपहर बाद इस वर्ष की अंतिम संध्याकाल पूजाएं शुरू हुईं। धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने भगवान का फूलों का श्रृंगार उतारने के बाद उनके शरीर पर माणा की महिलाओं द्वारा तैयार घृत कंबल ओढ़ाई।

सखी का वेष धारण कर मां लक्ष्मी को गोद में

रावल ने सखी का वेष धारण कर मां लक्ष्मी को गोद में उठाकर गर्भगृह में विराजित किया। इसके बाद बद्रीनारायण के बाल सखा उद्धव व देवताओं के खजांची कुबेर को गर्भगृह से बाहर लाया गया। उद्धव रावल के निवास स्थान और कुबेर बामणी गांव के नंदा देवी मंदिर में रात्रि प्रवास करेंगे। इसके साथ ही शंकराचार्य की गद्दी भी जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। कपाटबंदी के अवसर पर गढ़वाल स्काउट के बैंड की धुनों पर माहौल भक्तिमय हो गया। इस मौके पर बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष, सीईओ बीडी सिंह, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी, जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी, चमोली की डीएम स्वाति भदौरिया और एसपी यशवंत सिंह मौजूद रहे।

12.40 लाख श्रद्धालु पहुंचे बद्रीनाथ

इस साल बद्रीनाथ धाम में रिकॉर्ड 12 लाख 40 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। पिछले साल यह आंकड़ा 10 लाख 58 हजार 490 था।

भविष्य बद्री के कपाट भी हुए बंद

बद्रीधाम के साथ ही सुभाई गांव स्थित भविष्य बद्री के कपाट भी बंद कर दिए गए। इस मौके पर वेदपाठी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। प्राचीन परंपरा के अनुसार जोशीमठ-मलारी हाईवे पर जोशीमठ से 17 किमी दूर स्थित भविष्य बद्री मंदिर के कपाट भी बद्रीनाथ के साथ ही खोले और बंद किए जाते हैं।

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