- धनिष्ठा नक्षत्र में तड़के 4.30 बजे खोले गए कपाट, पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से हुई पहली पूजा

- कपाटोत्सव के लिए 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया था मंदिर

BADRINATH: भू-वैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शुक्रवार सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर धनिष्ठा नक्षत्र में खोल दिए गए। मंदिर में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई, जिसमें यजमान के रूप में पं। ऋषि प्रसाद सती ने पीएम के नाम से 4300 रुपये की रसीद कटवाई। इसके अलावा 145 अन्य लोगों के नाम की पूजाएं भी इस मौके पर हुई। इन सभी ने पूजाओं के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराई हुई थी। कपाटोत्सव के लिए मंदिर को दस क्विंटल गेंदे के फूलों से डेकोरेट किया गया था।

28 लोग रहे मौजूद

कपाट खुलने के मौके पर मंदिर में मुख्य पुजारी व धर्माधिकारी समेत कुल 28 लोग मौजूद थे। शुक्रवार को सुबह 4 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई। सबसे पहले धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी अपने कक्ष से भगवान बदरी नारायण के प्रतिनिधि उद्धवजी की भोगमूर्ति के साथ मंदिर परिसर पहुंचे। यहां पर रावल के साथ धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने द्वार पूजन का अनुष्ठान संपन्न कराया। इसके बाद देवस्थानम बोर्ड की ओर से धर्माधिकारी, मेहता थोक की ओर से जयदेव मेहता व भंडारी थोक की ओर से जगमोहन भंडारी ने ठीक 4.30 बजे बारी-बारी से मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे अपने-अपने तालों को खोला। द्वार खुलते ही रावल ने सीधे मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया और अखंड ज्योति के प्रथम दर्शन किए। इसी क्रम में रावल ने बदरीश पंचायत में शीतकाल के दौरान विराजमान रही मां लक्ष्मी की मूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाकर लक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया। फिर भगवान के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी को बदरीश पंचायत में विराजित किया गया। रावल ने शीतकाल के दौरान भगवान बदरी नारायण को ओढ़ाए गए घृत कंबल को निकालकर उसे पहले प्रसाद के रूप में वहां मौजूद लोगों को वितरित किया। फिर भगवान नारायण को गंगाजल, पानी व शहद से स्नान कराकर सबसे पहले उन्हें तुलसी व पुष्पों की माला अर्पित की गई। सोने-चांदी से भगवान के भव्य श्रृंगार के बाद इस साल की पहली पूजा हुई, जो तीन घंटे तक चली। इस मौके पर धाम में मौजूद बामणी व माणा गांव के लोगों ने भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए अखंड ज्योति के दर्शन किए।

उर्वशी मंदिर के कपाट भी खुले

बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोलने के बाद धाम के निकट बामणी गांव में स्थित देव अप्सरा उर्वशी मंदिर के कपाट भी विधि-विधान पूर्वक खोल दिए गए। वहीं, पंच बदरी में शामिल भगवान भविष्य बदरी धाम के कपाट भी ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए।