नई दिल्ली (पीटीआई)। एशियन और काॅमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडलिस्ट रहे रेसलर बजरंग पूनिया को शुक्रवार को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए नाॅमिनेट किया गया। यह खेल जगत का सबसे बड़ा सम्मान है। पिछले साल विराट कोहली और मीराबाई चानू को इस सम्मान से नवाजा गया था। उस वक्त बजरंग पूनिया को उम्मीद थी कि उन्हें यह अवार्ड दिया जाएगा मगर जब उनका नाम सामने नहीं अाया तो बजरंग ने काफी निराशा जताई थी। खैर इस बार खेल रत्न अवार्ड के लिए बजरंग पूनिया का नाम सामने अाया तो उन्हें काफी खुशी है।

मैं हकदार हूं इस पुरस्कार का

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिलने पर बजरंग कहते हैं वह इसके लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं। जार्जिया में वर्ल्ड चैंपियनशिप की ट्रेनिंग ले रहे बजरंग ने पीटीआई से बातचीत में कहा, 'मेरा काम कड़ी मेहनत करके अच्छा खेल दिखाना है। मेरा ध्यान हमेशा बेहतर प्रदर्शन करने पर होता है न कि अवार्ड जीतने पर। मगर आपको सम्मान तभी मिलता है जब आप बेहतर खेल दिखाते हैं। ये पुरस्कार पाने का मैं इसलिए हकदार हूं क्योंकि मेरे पास काफी अचीवमेंट्स हैं। मैं हमेशा कहता आया हूं कि ये अवार्ड उस व्यक्ति को देना चाहिए जो इसके लिए डिजर्व करता हो।'

गोल्ड मेडलिस्ट हैं बजरंग

25 साल के रेसलर बजरंग पूनिया ने पिछले साल जकार्ता में 65 किग्रा भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था। यही नहीं गोल्ड कोस्ट में आयोजित काॅमनवेल्थ गेम्स में भी बजरंग ने सोने का तमगा हासिल किया था। इसके अलावा बजरंग दो बार वर्ल्ड चैंपियन भी रहे हैं और अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में बजरंग से भारतीयों को काफी उम्मीद है।

बजरंग पूनिया को मिलेगा सबसे बडा खेल पुरस्कार 'राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड'

यह पुरस्कार पाने वाले चौथे पहलवान

बजरंग का मानना है कि वह बड़े इवेंट में बेहतर प्रदर्शन के लिए खुद को अच्छे से तैयार करते हैं। पूनिया का कहना है, 'मुझे बाहर से किसी तरह के मोटीवेशन की जरूरत नहीं है। मैं कजाखिस्तान में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए पूरी तरह से तैयार हूं। इस पुरस्कार से मेरी तैयारी में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।' बताते चलें बजरंग पूनिया खेल रत्न अवार्ड पाने वाले भारत के चौथे रेसलर है। इनसे पहले सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त और साक्षी मलिक को यह सम्मान मिल चुका है।

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अवार्ड के साथ मिलते हैं 7.5 लाख रुपये

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार प्राप्त करने वाले को पदक और प्रशस्ति पत्र के अतिरिक्त 7.5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत 1991 में हुई थी और सबसे पहला अवार्ड भारतीय चेस मास्टर विश्वनाथ आनंद को मिला था।1991 से लेकर 2018 तक कुल 36 खिलाड़ियों को यह पुरस्कार मिल चुका है। इसमें एक साल में कुछ संयुक्त खिलाड़ी भी रहे हैं।