- बकरीद आज, हरमू रोड और डोरंडा ईदगाह में तैयारी, मस्जिदों में भी नमाज की व्यवस्था

- डोरंडा में बारिश होने पर जैप परिसर में अदा की जाएगी नमाज

कुर्बानी के जज्बे के साथ सोमवार को ईद-उल-अजहा का पर्व मनाया जाएगा। इसे लेकर रविवार को सिटी के कई इलाकों में बकरों का बाजार सजा रहा। अंजुमन प्लाजा के सामने मुख्य मंडी में सुबह से लेकर देर शाम तक भीड़ लगी रही। त्योहार को देखते हुए व्यापारियों ने बकरों का मनमाना दाम वसूला। मंडी में पांच से लेकर 50 हजार रुपये तक के बकरे (खस्सी) बिके।

बाजार भी रहे गुलजार

बकरीद को लेकर सिटी के बाजारों में भी रात तक खूब रौनक रही। मुस्लिम बहुल इलाकों में देर रात तक खरीदारी का सिलसिला जारी रहा। उर्दू लाइब्रेरी, रतन टॉकिज, मेन रोड आदि जगहों पर खरीदारों की भीड़ रही। टोपी, सूरमा, अतर के अलावा बाकरखानी और शीरमाल रोटियों की भी खूब मांग रही।

पूरे शहर में नमाज की तैयारी

सिटी के ईदगाहों, मस्जिदों और मदरसों में ईद-उल-अजहा की नमाज तैयारी रविवार को पूरी कर ली गई। सिटी के हरमू रोड स्थित मुख्य ईदगाह और डोरंडा इदगाह में सुबह नौ बजे नमाज अदा की जाएगी। वहीं, शहर के प्रमुख ईदगाहों में अलग-अलग समय में नमाज अदा की जाएगी। इसके लिए विशेष तैयारी की गई है। डोरंडा राजेंद्र चौक के समीप स्थित डोरंडा ईदगाह में बकरीद की नमाज की तैयारी पूरी कर ली गई है। डोरंडा ईदगाह कब्रिस्तान और जामा मस्जिद कमेटी की ओर से ईदगाह मैदान से लेकर कब्रिस्तान तक में साफ-सफाई की गयी है। अत्यधिक बारिश हो जाती है, तो यह नमाज डोरंडा जैप वन परिसर स्थित जामा मस्जिद परिसर में होगी।

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कुर्बानी की है खास अहमियत

इस्लाम धर्म के प्रमुख पैगंबरों में से एक हजरत इब्राहीम अपने प्रिय बेटे हजरत इस्माइल को खुदा के राह पर कुर्बान करने जा रहे थे। उसे दुख न हो इसलिए कुर्बानी देते समय आंख पर पट्टी बांध ली। अल्लाह ने हजरत इब्राहीम के बेटे को जीवन दान दिया। हजरत इब्राहीम ने जब आंख से पट्टी खोली तो कुर्बानी के स्थान पर भेड़ मिली। इसके बाद अल्लाह ने इंसानों की कुर्बानी के बजाय जानवरों की कुर्बाना का हुक्म दिया। यही वजह है कि ईद-उल-अजहा में कुर्बानी की एक खास अहमियत होती है।

मौलना ओबेदुल्लाह कासमी