कानपुर। Bal Thackeray Birth Anniversary: बाल ठाकरे का पूरा नाम बालासाहेब केशव ठाकरे था। उनका जन्म 23 जनवरी, 1926 को महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने एक पत्रकार, राजनीतिज्ञ, व शिवसेना के संस्थापक के रूप में देश में हिंदुत्ववादी नीति की वकालत की। आधिकारिक वेबसाइट ब्रिटानिका के अनुसार उनके नेतृत्व में ही शिवसेना एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी बनी।

bal thackeray birth anniversary: जब चाहे बन जाते मुख्यमंत्री मगर कभी नहीं लड़ा चुनाव,ये है एक किंगमेकर की कहानी

ऐसे शुरू हुआ था बाल ठाकरे का सफर

बाल ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत 1950 के दशक में मुंबई (बॉम्बे) में फ्री प्रेस जर्नल के लिए एक कार्टूनिस्ट के रूप में की थी। उनके कार्टून जापानी दैनिक समाचार पत्र असाही शिंबुन और द न्यूयॉर्क टाइम्स के रविवार संस्करण में भी छपते थे। 1960 के दशक में वह राजनीति में शामिल हो गए। 1966 में उन्होंने शिवसेना की स्थापना की।

bal thackeray birth anniversary: जब चाहे बन जाते मुख्यमंत्री मगर कभी नहीं लड़ा चुनाव,ये है एक किंगमेकर की कहानी

महाराष्ट्र के गॉडफादर बने बाल ठाकरे

समाज से जुड़े मराठी मानुष बाल ठाकरे मराठियों के समूह के लिए एक मसीहा की तरह आगे आए। उन्‍होंने उनके जीवन यापन से जुड़ी चीजों और अधिकारों दिलाने की मांग की। इसके लिए उन्‍हें काफी विरोध झेलना पड़ा। ऐसे में उन्हें महाराष्ट्र के गॉडफादर के रूप में पुकारा जाने लगा था। इसके साथ ही उन्हें हिंदू हृदय के सम्राट की भी उपाधि दी गई ।

bal thackeray birth anniversary: जब चाहे बन जाते मुख्यमंत्री मगर कभी नहीं लड़ा चुनाव,ये है एक किंगमेकर की कहानी

बाल ठाकरे ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा

बाल ठाकरे की शिवसेना ने 1990 के दशक में महाराष्ट्र की राजनीतिक पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। इस दाैरान बाम्बे का नाम बदलकर मुंबादेवी देवी के नाम पर मुंबई का रखा गया था। खास बात तो यह है कि बाल ठाकरे चाहते तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन सकते थे लेकिन उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा। बाल ठाकरे किंगमेकर के रूप में रहते थ्ो।

bal thackeray birth anniversary: जब चाहे बन जाते मुख्यमंत्री मगर कभी नहीं लड़ा चुनाव,ये है एक किंगमेकर की कहानी

दंगे भड़काने का आरोप था बाल ठाकरे पर

बाल ठाकरे पर हिंदू और मुसलमानों के बीच हिंसक दंगों को भड़काने का आरोप भी लगा था। 1992-1993 के दाैर में मुंबई में एक नहीं कई हफ्तों तक हुए मुस्लिम विरोधी दंगों के दौरान करीब 1,000 लोग मारे गए थे। 2000 में दंगों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस दाैरान मजिस्‍ट्रेट ने मामले को दर्ज कर लिया और बाल ठाकरे छूट गए थे।

bal thackeray birth anniversary: जब चाहे बन जाते मुख्यमंत्री मगर कभी नहीं लड़ा चुनाव,ये है एक किंगमेकर की कहानी

ठाकरे कहते थे वह सभी मुस्लिमों के खिलाफ नहीं

वहीं ठाकरे ने अपने पर लगे आरोपों से कभी इनकार नहीं किया। खुद को अडोल्फ हिटलर के प्रशंसक रूप में बताने वाले बाल ठाकरे का कहना था कि वह सभी मुस्लिमों के खिलाफ नहीं हैं। बाल ठाकरे ने एक इंटरव्यू में भी कहा था कि जो मुस्लिम इस देश में रहते हैं वे यहां के नियमों के मुताबिक क्यों नहीं चलते हैं। मैं ऐसे लोगों को देशद्रोही मानता हूं।

bal thackeray birth anniversary: जब चाहे बन जाते मुख्यमंत्री मगर कभी नहीं लड़ा चुनाव,ये है एक किंगमेकर की कहानी

मातोश्री पर दर्शन करने वालों की भीड़ होती

ठाकरे की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी रैलियों में उनके भाषण सुनने के लिए लाखों की भीड़ होती थी। इसके अलावा खास त्योहारों पर उनके आवास मातोश्री पर दर्शन करने वालों की भीड़ होती थी। बाल ठाकरे बालकनी से दर्शन देते थे। 17 नवम्बर 2012 को बाल ठाकरे ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

बाल ठाकरे की वो डांट सचिन को हमेशा रहेगी याद, पढ़ें बाला साहब के बारे में 10 खास बातें

National News inextlive from India News Desk