हाई कोर्ट ने कहा, रिश्तेदारों को भी हस्तक्षेप का हक नहीं

prayagraj@inext.co.in

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बालिग लड़का-लड़की अपनी मर्जी से जिसके साथ रहना चाहे रह सकते हैं। कोर्ट या पारिवारिक रिश्तेदारों को उनके जीवन की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए फिलहाल परिवार द्वारा उन्हें परेशान करने व जीवन की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने से रोकने का आदेश देने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी। यह भी कहा कि याची उसे परेशान करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

परिवारवाले कर रहे परेशान

यह आदेश जस्टिस प्रकाश पाडिया ने रेशमा देवी व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है। वह अपने पति के साथ रह रही है। लेकिन, उसके परिवार वाले उन्हें परेशान कर रहे हैं। अपर महाधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने याचिका को यह कहते हुए खारिज करने की मांग की कि याची ने छह सितंबर 2019 को शादी की थी। शादी के समय वह नाबालिग थी। नाबालिग को संरक्षण देने का अधिकार माता-पिता को है। ऐसे में याचिका पोषणीय नहीं है। लेकिन, कोर्ट ने कहा कि याची वर्तमान समय में 18 वर्ष से अधिक आयु की है। वह बालिग है, उसे अपनी मर्जी से जहां चाहे रहने का अधिकार है।