लंदन (एएनआइ)। बलूचिस्तान के लोगों पर पाकिस्तान की ज्यादतियों के खिलाफ पूरी दुनिया में आवाजें उठने लगी हैं। लंदन में पीएम बोरिस जॉनसन के आवास (10 डाउन स्ट्रीट) के बाहर शुक्रवार को बलूचिस्तान के लोग भारी संख्या में जमा हो गए और हजारों बलोच राजनीति कार्यकर्ताओं की रिहाई को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) (यूके-जोन) द्वारा इंटरनेशनल डे ऑफ डिसेपियर के मौके पर किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने बलूच राजनीतिक कार्यकर्ताओं के अपहरण, यातना और हत्या के लिए पाकिस्तानी सेना के खिलाफ नारे लगाए। विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना को 'आतंकवादी सेना' भी बताया।

ब्रिटिश पीएम को सौंपा मेमोरेंडम

बीएनएम नेता हकीम बलूच ने कहा, 'बलूच कार्यकर्ताओं पर पाकिस्तान की सेना खूब अत्याचार कर रही है। सेना बलूच के लोगों का अपहरण करती है, वहां हमें प्रताड़ित किया जाता है और बर्बरता से मार दिया जाता है। हम आज दुनिया को यह बताने के लिए जमा हुए हैं कि बलूच लोगों के साथ क्या हो रहा है।' बीएनएम ने ब्रिटिश पीएम को एक मेमोरेंडम सौंपा, जिसमें ब्रिटेन सरकार से पाकिस्तान को मिलने वाली सभी वित्तीय सहायता को रोकने और उन बलूच लोगों की सुरक्षित रिहाई के लिए देश पर दबाव बनाने का आग्रह किया, जिन्हें पाकिस्तानी सेना के हाथों जबरन गायब कर दिया गया है। ज्ञापन में बताया गया है कि पाकिस्तान में 20,000 से अधिक मानवाधिकार प्रचारक, शिक्षाविद, पत्रकार, छात्र, वकील और राजनीतिक कार्यकर्ता गायब हो गए हैं, जबकि अन्य 6,000 लोगों को हिरासत में लेकर हत्या कर दी गई है।

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पाकिस्तान की चंगुल से आजाद होने की मांग

बता दें कि बलूचिस्तान के लोग दशकों से खुद को पाकिस्तान के चंगुल से आजाद किए जाने की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान से आजादी की मांग करने वाले हजारों राजनीति कार्यकर्ताओं को बंदी बना लिया गया है। पाकिस्तानी आर्मी से बचकर विदेशों में शरण लेने वाले हजारों बलूचिस्तानी लोग आए दिन पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और पाकिस्तानी जेलों में कैद हजारों राजनीति कार्यकर्ताओं की रिहाई की आवाज उठा रहे हैं।

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