फिल्म : बमफाड़

कलाकार : आदित्य रावल, शालिनी पांडेय, विजय वर्मा, जतिन सरना

निर्देशक : रंजन चन्डेल

निर्माता : अनुराग कश्यप

चैनल : जी 5

अवधि : 1: 40 घंटा

Bamfaad Movie Review : आदित्य रावल ने कोई ग्लैमरस अवतार में आने के बजाय परफोर्मेंस बेस्ड कैरेक्टर के माध्यम से एंट्री ली है और क्या खूब एंट्री ली है। बमफाड़ एक रस्टिक लव स्टोरी है। इलाहाबाद की कहानी है। अनुराग कश्यप ब्रांड की कहानी है तो मारधाड़ और खूब एक्शन, डायलोग बाजी भी है। एक्टर्स भी विजय वर्मा, जतिन सरना जैसे अच्छे कलाकारों को लिया गया है। खाली कहानी वही पुरानी ले ली है लेकिन एक्टर्स को एक्टिंग करने के लिए पूरा स्पेस दिया है। फिल्म आज ही ओटीटी पर रिलीज हुई है।यह फिल्म अच्छे कलाकारों के लिए एक बार देखी जा सकती है लेकिन बमफाड़ कहानी होगी। ऐसी उम्मीद न ही करें तो बेहतर। पढ़ें पूरा रिव्यू

क्या है कहानी

कहानी बहुत नयी नहीं है। उत्तर प्रदेश का बैक ड्राप है। इलाहबाद में बेस्ड है। अफसोस की बात यही है कि अनुराग कश्यप की फैक्ट्री से एक दौर में जहां शानदार कलाकार निकले हैं तो कहानी भी एक से एक आई है। फिर लगातार वह कहानी चुनने में चूक क्यों जा रहे। अब इसी फिल्म को लेलें, एक्टर्स सब फैन्टास्टिक, एक नम्बर लेकिन उनको ठगने वाली वही पुरानी कहानी। एक प्रेमी, एक प्रेमिका और एक विलेन।

इतने कलाकारों के इर्द- गिर्द घूमती है कहानी

इस कहानी को जबरन खींचने की कोशिश युवा राजनीति, प्यार- मोहब्बत, कॉलेज, मोहल्ला और मोहल्ले में खुद को शेर समझने वाला एक शेर के साथ की गई है। और इन सबके बीच एक ऐसा बाहुबली जो किसी से नहीं डरता, अपनी मोहब्बत को पाने के लिए खुद मरने पर नहीं मारने पर यकीं करता हो। नासिर उर्फ नाटे ( आदित्य रावल) बाहुबली है, युवा का उबलता खून है। किसी को भी अपने सामने कुछ नहीं समझता। एक लड़की नीलम ( शालिनी पांडेय) है, जो गुंडों का सरताज जिगर ( विजय वर्मा) की जबरन महबूबा है। अब नासीर और जिगर के बीच लड़ाई है। अनुराग कश्यप ब्रांड की फिल्मों में महिला किरदार को बोल्ड दिखाते हैं सो इस फिल्म में भी नीलम बोल्ड हैं और इस तरह युद्ध चलता रहता है। किसके प्यार की जीत होती है, यही कहानी है। सो, कहानी में आप समझ ही गये की कुछ नया नहीं है।

क्या है अच्छा

संवाद खूब अच्छे है। ऐसी रस्टिक लव स्टोरी में जिस तरह के संवाद होते हैं, वैसे ही संवाद हैं। लोकेशन और कैरेक्टर्स का लहजा एक दम यूपी वाला है। कैरेक्टर्स का अपना काम भी एकदम मस्त है। म्यूजिक अच्छा है।

क्या है बुरा

कहानी, ऐसा कोई सिंगल शाॅर्ट नहीं है जो याद रखने लायक हो। बेहतरीन पाॅवरफुल एक्टर्स के साथ यह चीटिंग ही है कि उन्हें अच्छी कहानी नहीं मिली। धांसू एक्टिंग करने वाले विजय वर्मा और जतिन सरना के हिस्से कोई अच्छे सीन्स नहीं आये हैं। निर्देशन में भी बात नजर नहीं आई।

अदाकारी

आदित्य रावल के लिए परफोर्मेंस के हिसाब से अच्छी शुरुआत है। ऐसा नहीं लग रहा उनको देख कर कि खाली नाम का अभिनय किया है। रटी हुई डायलाॅग डिलीवरी नहीं लगी। शालिनी पांडेय ध्यान खींचती हैं। उनमें संभावनाएं हैं। विजय वर्मा और जतिन सरना के किरदार डिसअपाॅइन्ट करते हैं। धांसू एक्टर्स होने के बावजूद परफोर्मेंस के लिए खास स्कोप नहीं था।

वर्डिक्ट : रस्टिक स्टोरी और नए कलाकारों के काम देखने के लिए एक बार फिल्म देखी जा सकती है।

रेटिंग : 2.5 स्टार

Reviewed By : Anu Verma

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