- नगर निगम की ओर से अभियान चलाकर कोयले से खाना बनाने पर रोक

क्लीन फ्यूल को बढ़ावा, कोयले के प्रयोग पर कड़ाई से रोक

- क्लीन एयर एक्शन प्लान के तहत शहर भर में कार्रवाई शुरू

PATNA:

पटना देश के बेहद प्रदूषित शहरों में से एक है। यहां की एयर क्वालिटी को बेहतर करने के लिए कोयले के प्रयोग को भी रोकना जरूरी है। इसे लेकर पटना के अजीमाबाद, सिटी अंचल सहित अन्य इलाकों में कार्रवाई की गई। इस दौरान कच्चे कोयले के तंदूर को नष्ट किया गया। इसके लिए शुरू हुई कार्रवाई के तहत शनिवार को विभिन्न इलाकों में तंदूर नष्ट किया गया था। नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी व प्रवक्ता सुशील कुमार मिश्रा ने कहा कि प्रदूषण कंट्रोल के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। दिसंबर, 2019 के अंत इसे पूरी तरह से समाप्त किया जाना है। क्योंकि ऐसे कोयले से व्यापक प्रदूषण हो रहा है। निगम अलग-अलग टीम बनाकर यह अभियान पूरे पटना में चलाएगा।

- क्लीन एयर एक्शन प्लान दिसंबर तक

बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से दो साल पहले क्लीन एयर एक्शन प्लान बनाया गया था। इसके प्रावधानों को कड़ाई से लागू किए जाने के लिए कई पहलूओं पर काम किया जाना है। इसी प्लान का हिस्सा है कोयले से खाना बनाने पर रोक। इसके साथ वैसे ईधन के साधनों को भी बंद किया जाएगा जिससे वातावरण प्रदूषित होता है। इसमें गोइंठा (गोबर से तैयार उपले) का प्रयोग भी रोका जाएगा। कोयला को बैन करने का लक्ष्य दिसंबर, 2019 तक पूरा करना है।

इन पर पडे़गा असर

पटना में चौराहों, स्टेशन के आस-पास, गांधी मैदान के पास के ढाबा आदि में खाना पकाने के लिए कोयले का जमकर प्रयोग होता है। खास तौर पर लिट्टी आदि की सेंकाई के लिए कोयले का प्रयोग किया जाता है। प्रदूषण नियंत्रण की कवायद के मद्देनजर ऐसे तंदूर को बैन किया जा रहा है। हैरत की बात है कि बड़े होटलों में भी कोयले का प्रयोग किया जा रहा है। निगम की कार्रवाई के दौरान ऐसे मामले मिले।

कोयले की बजाय क्लीन एनर्जी

सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई कर रही है। इसके तहत जहां भी कोयले का प्रयोग किया जा रहा है उसे बंद कर समुचित कीमत पर क्लीन एंड सेफ एनर्जी जैसे एलपीजी का प्रयोग किया जाएगा। बिहार स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से यह योजना तैयार की गई थी।

कोट

कोयले के प्रयोग को बंद किया जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रित करने का लक्ष्य है। इसकी बजाय क्लीन एनर्जी के प्रयोग का महत्व बताते हुए उन्हें इसके प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

- डॉ अशोक घोष चेयरमैन बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड

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