अबू धाबी (एएनआई)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारत का एक "आंतरिक मामला" है और इस कानून की कोई जरुरत थी। बता दें कि भारत में नागरिकता कानून में संसोधन के बाद शेख हसीना का पहली बार इसपर बयान आया है। प्रधान मंत्री ने गल्फ न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, 'हमें समझ नहीं आता कि भारत सरकार ने ऐसा क्यों किया। यह आवश्यक नहीं था। फिर भी यह भारत का आंतरिक मामला है।'

पिछले दिसंबर में संसद से पारित हुआ सीएए

सीएए को भारत की संसद ने पिछले दिसंबर में पारित किया था और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक एक अधिनियम बन गया। इस एक्ट के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न से भागकर हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदायों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रयास हो रहा है। इसमें जो लोग 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं उन्हें नागरिकता दी जाए।

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शेख हसीना ने आगे कहा, 'बांग्लादेश ने हमेशा कहा है कि सीएए और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं। भारत सरकार ने भी अपनी ओर से यही कहा है कि एनआरसी भारत की एक आंतरिक कवायद है और प्रधानमंत्री मोदी ने अक्टूबर 2019 में नई दिल्ली की यात्रा के दौरान मुझे इस बारे में आश्वस्त किया है।' बता दें कि बांग्लादेश की 16 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 10.7 फीसद हिंदू जबकि महज 0.6 फीसद बौद्ध हैं और वह धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में किसी भी प्रवासन से इनकार करता है। बांग्लादेश की पीएम ने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि उनके देश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते अल्पसंख्यक समुदायों ने भारत पलायन किया है। उन्होंने इन्हीं वजहों से किसी अन्य देश के नागरिकों के बांग्लादेश आने की बातों को भी नकारा।

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