अतिक्रमण के कारण 250 साल पुराने बरगद पर नहीं जाता किसी का ध्यान

बरगद के पेड़ की धानक समाज में है काफी मान्यता

Meerut. प्राकृति के संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा के लिए पौधारोपण का संदेश देने वाले वन विभाग समेत अनेक सामाजिक संस्थाएं भले ही प्रयास कर रही हो लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते प्राचीन वृक्ष अतिक्रमण के आड़ में गुम होते जा रहे हैं. हालत यह है कि विशालकाय होने के बावजूद आज अतिक्रमण के कारण 100 मीटर दूर से इन वृक्षों पर ध्यान भी नहीं जाता है.

धानक समाज की आस्था का प्रतीक

दिल्ली रोड स्थित फुटबाल चौराहे पर बाबा मंजनूनाथ मंदिर परिसर में खड़े 250 साल पुराने बरगद के पेड़ की धानक समाज में काफी मान्यता है. मगर आज यह पेड़ अपनी महत्ता को अतिक्रमण के कारण खोता जा रहा है. हालत ये है कि मंदिर परिसर के बाहर दुकानों, ठेलों और वाहनों के कारण इस विशालकाय पेड़ पर किसी की नजर तक नहीं जाती है. केवल मंदिर में आने वाले धानक समाज के लोग ही इस पेड़ की पूजा करते हैं और इसकी महत्ता को समझते हैं.

लोग मंदिर में पूजन के साथ पेड की पूजा भी करते हैं और मन्नत मांगते हैं. मगर अतिक्रमण के बीच यह पेड़ दुकानों के पीछे छुपता जा रहा है. इसकी किसी विभाग द्वारा कोई देखभाल भी नहीं हो रही है.

पं. भरत झा, पुजारी

धानक समाज के अलावा आसपास के सभी लोगों की इस मंदिर वृक्ष में आस्था है. खासतौर पर तीज त्यौहार पर वृक्ष की पूजा की जाती है. आज हालत यह है कि पेड़ दीवार तक में फंस चुका है.

राजेंद्र

इस वृक्ष का महत्व राहगीरों समेत आसपास के दुकानदारों और रोजाना इस पेड़ की छांव के नीचे फड़, ठेले लगाने वाले छोटे दुकानदारों को पता है. पेड की विशालता के कारण दूर तक इसकी छांव जाती है, ऐसे वृक्षों को हमें संजोना चाहिए.

गुलशाद