-आज तक अधूरे पुल का काम पूरा नहीं करा पाई सरकार

-सीएम ऑफिस से करीब 8 किमी की दूरी पर है यह गांव

DEHRADUN : सीएम ऑफिस से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित जामूनवाला गांव के लोग पिछले कई वर्षो से अधूरे पुल की बांट जोह रहे हैं। पुल न बनने के कारण क्षेत्र के ग्रामीणों को नदी को पैदल पार करना पड़ता है। बरसात के सीजन में तो यहां हाल और भी बुरा हो जाता है। मेन रोड तक आने के लिए इन्हें महज दो किलोमीटर की दूरी के लिए 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। टिहरी लोकसभा क्षेत्रा(विधानसभा क्षेत्र सहसपुरर) और गुजराड़ा ग्राम सभा के अ‌र्न्तगत आने वाले इस जामूनवाला क्षेत्र की आबादी वर्तमान में तकरीबन फ्भ्00 है। इनमें क्भ्00 के करीब वोटर्स हैं।

कांग्रेस को नहीं देंगे वोट

हर बार यहां चुनाव में पुल निर्माण का मुद्दा उठता है, लेकिन ग्रामीणों की समस्या आज तक सॉल्व नहीं हो पाई है। आई नेक्स्ट की टीम जब गांव में पहुंची तो क्षेत्र के लोग कांग्रेसी गवर्नमेंट से खासा नाराज दिखे। इसीलिए इन लोगों ने इस बार चुनाव में कांग्रेस पार्टी को वोट न देने का मन बना लिया है। नाराजगी का कारण पूछा गया तो पता चला कि कई वर्षो की मांग के बाद जब पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट ने यहां म् वर्ष पहले पुल निर्माण कार्य शुरू किया तो कैंट क्षेत्र होने के कारण सेना ने यहां पुल निर्माण पर रोक लगा दी। सेना के अधिकारियों का कहना है कि विभाग ने उनसे निर्माण कार्य के लिए एनओसी नहीं ली है।

नहीं मिली एनओसी

अब पिछले कई वर्षो से क्षेत्र के लोग डीएम ऑफिस से लेकर सीएम तक के चक्कर काट चुके हैं। इस बीच मुख्य सचिव और रक्षा मंत्रालय तक पुल निर्माण की फाइल पहुंच चुकी है, लेकिन एनओसी न मिलने के कारण पुल निर्माण की फाइल आज भी सरकार की बंद आलमारी में धूल फांक रही है। क्षेत्र के लोग इसके लिए कांग्रेस गवर्नमेंट को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। क्योंकि उनका मानना है कि स्टेट से लेकर सेंट्रल तक दोनों ही जगह कांग्रेस की गवर्नमेंट है ऐसे में नेता अगर चाहते तो पुल कब का बनकर तैयार हो चुका होता। अब लोगों के मुंह से दो टूक जवाब निकल रहा है कि हम कांग्रेस को वोट देंगे हीं नहीं।

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पानी के लिए तरस जाते हैं हलक

अधूरे पुल के अलावा यहां पानी की भी समस्या बनी हुई है। आलम यह है कि यहां करीब ख्भ्0 कनेक्शन हैं, लेकिन गांव वालों को मात्र ख्भ् कनेक्शन का पानी ही उपलब्ध होता है। हर रोज यहां लोगों को महज आधा घंटा ही पानी उपलब्ध होता है। पानी के कनेक्शन भी जमीन से चार फुट नीचे दिए गए हैं। अब जब पानी आता है तो लोगों को जग से पानी भरकर अपना बर्तन भरना पड़ता है।

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आपदा में भी अछूता नहीं रहा क्षेत्र

ग्रामसभा के प्रधान राकेश शर्मा के अनुसार उनकी ग्रामसभा गुजराड़ा में जामूनवाला के अलावा अक्कूवाला, हरनौल, दया नगर, कुलसैणी गांव आते हैं। शर्मा ने बताया कि जब विगत वर्ष जून में आपदा आई तो क्षेत्र के लोगों का कई बार फोन आता था क्योंकि नदी इन गांव के पास से होकर गुजरती है। ऐसे में लोग सहमे हुए रहते थे। क्योंकि नदी में पानी काफी बढ़ गया था। नदी किनारे बाउंड्री के रूप में जाल बिछाएं गए थे जो उस आपदा में बह गए।

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जल संस्थान भी नहीं सुनता समस्या

गांव में पानी की भी समस्या है। ऐसे में क्षेत्र में बोरिंग के लिए जल निगम से लेकर जल संस्थान में आवेदन किया, लेकिन कर्मचारी कभी आचार संहिता का हवाला देकर तो कभी बजट का रोना रो कर बात को टाल देते हैं।

कैंट से बिना एनओसी लिए हुए करीब म् वर्ष पहले पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट ने यहां पुल निर्माण कार्य शुरू किया था। बाद में कैंट क्षेत्र होने की वजह से सेना ने रोक लगा दी। अब कई वर्षो से पुल निर्माण कार्य अधूरा लटका हुआ है। सांसद से लेकर डीएम और सीएम ऑफिस के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला।

-राकेश कुमार, ग्रामसभा प्रधान

हमने तो मन बना लिया है कि इस बार वोट करना ही नहीं है। खासतौर पर कांग्रेस को तो क्षेत्र से एक भी वोट नहीं मिलने वाला। क्योंकि स्टेट और सेंट्रल में दोनों जगह कांगे्रस पार्टी की गवर्नमेंट है वे चाहते तो पुल बन सकता था।

-बीना क्षेत्री

अभी तो नदी में घुटने तक ही पानी है। बरसात में तो हमारी समस्या और बढ़ जाती है। नदी को पार नहीं किया जा सकता है। फिर दो किलोमीटर जाने के लिए दूसरे रास्ते से क्भ् किलोमीटर की पैदल दूरी नापनी पड़ती है।

-कृष्णा

कांग्रेस गवर्नमेंट को हमने खूब देख लिया है। अब तो जब दूसरी सरकार बनेगी तो ही हमें पुल निर्माण की कोई उम्मीद दिखाई देगी।

-नीमा

अधूरे पुल के पुनर्निर्माण के लिए ग्रामीण डीएम ऑफिस से लेकर सीएम ऑफिस और मुख्य सचिव के पास तक गए, लेकिन पुल निर्माण का मामला सॉल्व नहीं हुआ है। अब तो लोगों ने उम्मीदें भी छोड़ दी हैं।

-राजेन्द्र सिंह

पुल निर्माण के अलावा यहां पानी की भी समस्या है। मुश्किल से आधा घंटा पानी मिल पाता है। कनेक्शन भी चार फुट नीचे दिए हुए हैं जग से पानी भरकर अपना बर्तन भरना पड़ता है।

-मंगल सिंह