- पूजा के लिए सुबह 08.29 मिनट के बाद बन रहा है शुभ मुहूर्त

- पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी बना सर्वार्थ सिद्धि योग

PATNA :

माता सरस्वती बुद्धि और विद्या की देवी हैं। सरस्वती की कृपा से लोग शून्य शिखर पर पहुंच जाते हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी में दिन यदि कोई छात्र माता सरस्वती की अराधना करे, उनके मंत्र का जाप करे तो सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माघ शुक्ल पंचमी गुरुवार को अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा होगी। ये जानकारी भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने दी।

उन्होंने ये भी बताया कि इस वर्ष पूजा पर ग्रह-गोचरों का महासंयोग बन रहा है। उन्होंने पंचांगों के हवाले से बताया कि सरस्वती पूजा पर उत्तराभद्र नक्षत्र, गुरुवार, सिद्धयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और 30 तारीख का महासंयोग बन रहा है। माघ शुक्ल चतुर्थी संयुक्त पंचमी तिथि बुधवार उन्तीस जनवरी की सुबह बनारसी पंचांग के अनुसार सुबह 08.07 बजे से तथा मिथिला पंचांग के तहत प्रात: 08.29 बजे से शुरू होगा जो गुरुवार 30 जनवरी को 10.27 बजे तक है। पूजन के समय अबूझ मुहूर्त का भी संयोग बना है। माता के पूजन का सबसे शुभ मुहुर्त 30 जनवरी को प्रात: 6.35 बजे से शाम 10.27 बजे तक है। 30 का सूर्योदय पंचमी में हो रहा है, इसीलिए बसंत पंचमी 30 को मनाई जाएगी। उदयातिथि के मान से पूरे दिन भी माता शारदे की पूजा-आराधना की जाएगी ।

- अक्षरारंभ का होगा शुभारंभ

पंडित झा के मुताबिक सरस्वती पूजा पर मंत्र दीक्षा, छोटे बच्चों का अक्षरारंभ भी किया जाता है। इस तिथि पर माता सरस्वती के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, पुस्तक-लेखनी और वाद्य यंत्र की पूजा अति फलदायी मानी जाती है। श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल भी लगाते हैं। बसंत पंचमी के दिन ही गुप्त नवरात्र के पंचमी की पूजा होती है।

- पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से

च्योतिषी झा ने मान्यताओं के आधार पर बताया कि भगवान कृष्ण ने पीतांबर धारण करके विद्या की देवी सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पंचमी को किए थे। उन्होंने बताया कि पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है जो ज्ञान, धन शुभता के कारक माने जाते हैं। इसीलिए इस दिन श्रद्धालु पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं।

राशि के अनुसार करे आराधना

मेष- सिंदूर, लाल फूल, गुलाबी अबीर अर्पण करें।

मंत्र- वाग्देवी वागीश्वरी नम:

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वृष - हरे रंग की कलम, पीला फूल चढ़ाएं

मंत्र - कौमुदी ज्ञानदायनी नम:

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मिथुन - श्वेत रंग की कलम, अपराजिता पुष्प, नारियल अर्पण करें

मंत्र - मां भुवनेश्वरी सरस्वत्यै नम:

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कर्क - लाल कलम, इत्र, अभ्रक चढाएं

मंत्र - मां चंद्रिका देव्यै नम:

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सिंह- पीले रंग की कलम, लाल फूल, अभ्रक अर्पित करें

मंत्र - मां कमलहास विकासिनि नम:

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कन्या- गुड़, अबीर, इत्र अर्पण तथा पुस्तक का दान करें।

मंत्र- मां प्रणवनाद विकासिनि नम:

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तुला- नीला कलम, पंचामृत, गुलाबी अबीर, इत्र चढ़ाएं।

मंत्र- मां हंसुवाहिनी नम:

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वृश्चिक- सफेद रेशमी वस्त्र, ऋतुफल, गंगाजल अर्पित करें।

मंत्र - शारदे दैव्यै चन्द्रकान्ति नम:

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धनु- श्वेत चंदन, अबीर, पीला फूल चढ़ाएं।

मंत्र- जगती वीणावादिनी नम:

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मकर- अरवा चावल, दही, पुष्प माला, शहद अर्पण करें।

मंत्र- बुद्धिदात्री सुधामूर्ति नम:

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कुंभ- खीर, पीला अबीर, इत्र चढ़ाएं । मंत्र- ज्ञानप्रकाशिनी ब्रह्मचारिणी नम:

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मीन- सफेद वस्त्र, पीला फूल, घी अर्पित करे ।

मंत्र- वरदायिनी मां भारती नम:

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पूजा की तैयारी को लेकर दिखा उत्साह

बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की सामूहिक पूजनोत्सव को लेकर शहर के कई इलाकों में पंडाल का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है। मंगलवार को पूरे दिन मूर्तिकारों के यहां से मां सरस्वती की प्रतिमाओं को पंडाल तक पहुंचाने का सिलसिला जारी था। मूर्ति को लेकर छोटे बच्चे कुछ ज्यादा ही उत्साहित दिखे। शिक्षण संस्थानों में भी पूजा की तैयारी देखने को मिली।