- बसंत पंचमी पर अबूझ तिथि देव कार्य, मंगल कार्य होंगे शुभ

- पीला रंग का बंसत पंचमी का होता है विशेष महत्व

Meerut। एक बार फिर 27 वर्षो बाद एक बार फिर बसंत पंचमी दुर्लभ शुभ संयोगों के साथ आ रही है। 1 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन पंच महायोग का संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इस दिन ध्वज योग, साध्य योग, सर्वाथ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग का दुर्लभ संयोग एक साथ हो रहा है। उन्होंने पंच महायोग के संयोग में मां सरस्वती की पूजा अर्चना करना साधकों के लिए विशेष फलदायी साबित होगी। जो चतुर्थी युक्त पंचमी होने से विशेष फलदायी बन रही है।

क्या करें बसंत पंचमी पर

आकाश तत्व से संबंधित यह बृहस्पति पीले रंग के माने जाते हैं क्योकि बृहस्पति एवं पीला रंग, तमो, रजोद व सतोगुण में सर्वक्षेष्ठ सतोगुण होता है। परमात्मा कृष्ण व जगत पालक महा विष्णु भी पीताम्बरधारी ही हैं। जो मनुष्य अपने जीवन में सतोगुण प्रभाव की वृद्धि करके भगवान से जुड़ना चाहते हैं। उनके लिए बसंत पंचमी पर पीले रंग का प्रयोग सतोगुण शुभ प्रभावों को जीवन मे बढ़ाने का महत्वपूर्ण अवसर हैं।

हल्दी डालकर करें स्नान

ज्योतिषाचार्य भारत ज्ञान भूषण बताते हैं कि बसंत पंचमी पर पीले बसंती रंगों का प्रयोग अनिवार्य कर लें। हल्दी डालकर स्नान करने के बाद माथे पर हल्दी केसर का तिलक आवश्यक लगाएं। अपने घर में गंगाजल में हल्दी घोलकर छिड़कने से बसंत पंचमी का परमात्मा कृष्ण का शुभ प्रभाव मिले।

सतोगुण का करें संतुलन

ज्योतिषाचार्य भारत ज्ञान भूषण बताते हैं कि बसंत पंचमी का तात्पर्य है प्रकृति रंग भरी हरियाली छठा बिखरने के लिए अंगडाई ले रही है। पुराने पत्ते झड़ रहे है नयाी कोपलें आ रही है। होली के मदनोत्सव प्रारंभ रतिकाम महोत्सव के रूप में बसंत पंचमी से ही प्रारंभ होता है।

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ये हैं योग

इस वर्ष बंसत पंचमी सूर्योदनी तिथि बुधवार प्रात: 7 बजकर 10 मिनट से प्रारम्भ हो जाएगी। जबकि पंचमी तिथि का प्रारंभ 3 बजकर 41 मिनट से ही हो जाएगा। रात 2 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस माध्य उत्तरा भाद्र नक्षत्र षिव, अमृत व लुम्बक योग रहेंगे तथा चंद्रमा मीन राशि में होंगे जो हर मामले में शुभ प्रभावी है।

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- सिद्ध योग और स्वयं सिद्ध मुहूर्त में गणेश का पूजन अतिशुभ

- माघीय गुप्त नवरात्र में बसंत पंचमी का सर्वाधिक महत्व है

- पंचक में पंचमी होने से किए गए कार्य का 5 गुना फल मिलेगा।

- शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर लक्ष्मी प्रसन्न व कार्य सिद्ध होते हैं

-अमृत, शिव, सिद्ध, स्वयं सिद्ध मुहूर्त से बनता है अबूझ तिथि का योग