- जूनियर स्कूल्स में शुरू होगा गर्ल्स क्रिकेट, बनेगी बेसिक स्कूल्स की टीम
- फॉर्मर इंडियन प्लेयर रीना सिंह की पहल पर गर्ल्स क्रिकेट की नींव मजबूत करने की कवायद
GORAKHPUR: देश भर में बेटियां हर फील्ड में दम दिखा रही हैं। खासतौर पर स्पोर्ट्स की फील्ड में वह लड़कों से आगे बढ़ते हुए लगातार देश की झोली में मेडल्स की बरसात कर रही हैं। इसमें अब गर्ल्स क्रिकेट में भी बेटियों का जलवा दिखने लगा है। मगर गोरखपुर की बेटियां टैलेंट होने के बाद भी सुविधाओं की कमी से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा। बेसिक लेवल पर भी स्टूडेंट्स को बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी और उनका हुनर भी तराशा जाएगा। इसके लिए शासन ने सभी माध्यमिक स्कूल्स में गर्ल्स क्रिकेट को भी शामिल कर लिया है। नए सेशन से यह प्रभावी होगा और इंटरेस्टेड गर्ल्स, क्रिकेट में भी अपना हुनर तराश सकेंगी।
बनेगी टीम, होगा मुकाबला
बेसिक लेवल से ही क्रिकेट की शुरुआत हो जाने से फ्यूचर में गर्ल्स क्रिकेट उड़ान भरेगा। फॉर्मर इंडियन प्लेयर रीना सिंह की मानें तो क्लास फिफ्थ-सिक्स्थ से अगर टैलेंट तराशना शुरू कर दिया जाएगा, तो इससे बेहतर टीम बनेगी और बाद में गर्ल्स टीम का फ्यूचर भी बेहतर होगा। इसके लिए पहले स्कूल्स और फिर ब्लॉक लेवल पर टीम बनाई जाएगी। ब्लॉक लेवल पर मुकाबले कराकर स्कूल नेशनल की टीम सेलेक्ट की जाएगी, जो एज कैटेगरी के हिसाब से बाद में डिस्ट्रिक्ट और स्टेट लेवल टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेगी।
अब तक गर्ल्स क्रिकेट नहीं था शामिल
माध्यमिक स्कूल्स की बात करें तो अब तक यहां गर्ल्स क्रिकेट शामिल नहीं था। इसके अलावा कबड्डी, खो-खो, फुटबॉल और दूसरे गेम्स के अलावा ब्वाएज क्रिकेट तक शामिल किया गया था। लेकिन नेशनल लेवल पर गर्ल्स क्रिकेट बेहतर न होने की वजह से इसकी कोई पूछ नहीं थी। लेकिन गर्ल्स टीम के वर्ल्डकप में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद जहां गर्ल्स में इसका क्रेज बढ़ा है, वहीं शासन को भी इसकी अहमियत मालूम पड़ी है। गोरखपुर में गर्ल्स क्रिकेट के खराब दौर में भी नेशनल टीम में जगह बनाने वाली रीना सिंह ने इसके लिए शासन से डिमांड की थी, जिसके बाद शासन ने यह फैसला किया है।
1992 से जद्दोजहद कर रही हैं बेटियां
गोरखपुर शहर में टैलेंट के कद्रदानों का काफी कमी है। क्रिकेट एसोसिएशन होने के बाद भी सुविधाओं के लिए गर्ल्स को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। ऐसी कंडीशन अभी की नहंीं काफी पहले से ही बनी हुई है, जिसका कोई सॉल्युशन नहीं निकल सका है। गोरखपुर में फीमेल क्रिकेट की नींव 1992 में रखी गई। इस दौरान एडी और कार्मल गर्ल्स इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली कुछ स्टूडेंट्स ने टीचर्स के कहने पर स्कूल की टीम में हिस्सा लिया और गोरखपुर की पहली गर्ल्स टीम फॉर्म की गई। स्कूल लेवल पर फॉर्म हुई इस टीम में रीना सिंह, शांता, रॉकी जायसवाल, प्रियंका और आराधना सिंह अहम हैं। बगैर किसी सुविधा और प्रैक्टिस के स्कूल क्रिकेट में गोरखपुर की हिस्सेदारी तो हुई, लेकिन कोई कमाल दिखाने में टीम नाकाम रही। कानपुर में ऑर्गनाइज स्कूल स्टेट टूर्नामेंट में इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद एकाध मैच खेले और फिर सुविधा के अभाव में उन्होंने अपनी-अपनी राह पकड़ ली।
तीन साल रहे बेमिसाल
गोरखपुर गर्ल्स क्रिकेट के लिए 2012-13 से लेकर 2015 तक का पीरियड काफी बेमिसाल रहा। इस दौरान 2012-13 में टीम जहां फाइनल मुकाबले में पहुंचने के बाद जीत हासिल नहीं कर सकी। वहीं 2013-14 और 2014-15 में टीम ट्रॉफी पर कब्जा जमाने में कामयाब रही। इस दौरान गर्ल्स गोरखपुर में चल रही प्राइवेट एकेडमी लक्ष्य के ग्राउंड पर प्रैक्टिस कर रही थी। मगर एक गवर्नमेंट और एसोसिएशन की ओर से कोई हेल्प न मिलने की वजह से एक बार फिर गर्ल्स क्रिकेट पर ब्रेक लगा और यहां की खास खिलाडि़यों ने दूसरे स्टेट या शहर जाकर ऐसासिएशन ज्वाइन किया और वहां से यूपी की टीम में दम-खम दिखा रही हैं। वहीं कुछ खिलाड़ी खुद ही प्रैक्टिस कर अपना खेल सुधारने में लगी हुई हैं।
जूनियर स्कूल्स में भी फीमेल क्रिकेट को शामिल कर लिया गया है। इससे निश्चित तौर पर गर्ल्स क्रिकेट का बेस मजबूत होगा। शुरुआत से ही लड़कियां जब सीखकर आएंगी, तो उन्हें आगे चलकर ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, इससे शहर और प्रदेश की टीम बनाने में भी मुश्किलें दूर होंगी। साथ ही एक से बढ़कर एक टैलेंट भी मिलेगा।
- रीना सिंह, फॉर्मर इंडियन प्लेयर