टाटा जूलॉजिकल पार्क स्थित स्टेट के सबसे बड़े बैट सैंचुरी में चमगादड़ों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। यह न सिर्फ जू एडमिनिस्ट्रेशन के लिए बल्कि बैट पर रिसर्च कर रहे एक्सपट्र्स के लिए भी परेशानी की बात है। यह सैंचुरी लगभग 45 सालों से है।

1700 से घटकर 900
पिछले 3-4 साल में चमगादड़ों की संख्या करीब 800 कम हो गई है। 4 साल पहले बैट सैंचुरी में इनकी संख्या लगभग 1700 थी, जो अब घटकर 900 हो गई है। हालांकि, जू एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि पिछले साल से इनकी संख्या कम नहीं हुई है।

कई हैं कारण
चमगादड़ पर रिसर्च कर रहे डॉ केके शर्मा ने बताया कि इनकी संख्या कम होने की सबसे बड़ी वजह सैंचुरी के पास बोटिंग होना और ओवर क्राउडेड सिचुएशन है। इसके अलावा सैंचुरी के कई पेड़ों का गिर जाना भी चमगादड़ कम होने का एक कारण है। बोटिंग करते हुए ज्यादातर लोग बैट सैंचुरी के पास चले जाते हैं और इस वजह से चमगादड़ों को परेशानी होती है.  उन्होंने कहा कि इस मसले पर उनकी जू एडमिनिस्ट्रेशन से बात हुई है।

टाटा जू स्थित बैट सैंचुरी में वल्र्ड के सबसे बड़े नस्ल के चमगादड़ हैं। इनपर अभी भी रिसर्च किया जा रहा है। हमने जू एडमिनिस्ट्रेशन से बात की है। आम लोगों को भी इसके बारे में सोचना चाहिए। चमगादड़ बहुत ही सेंसिटीव होते हैं। अपने आस-पास आहट होने पर ये चले जाते हैं।
- डॉ केके शर्मा, एचओडी, जूलॉजी डिपार्टमेंट, को-ऑपरेटिव कॉलेज


पिछले साल चमगादड़ों की जितनी संख्या थी, उसमें कमी नहीं आई है। पहले इनकी संख्या घटी थी। हम जू आने वालों से अपील करते हैं कि वे बोटिंग करते हुए सैंचुरी के पास न जाएं।
- विपुल चक्रवर्ती, डायरेक्टर, टाटा जू