नई दिल्ली (पीटीआई)। विवाद और भ्रष्टाचार से ग्रस्त दिल्ली और डिस्ट्रिक्ट्स क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) को बीसीसीआई द्वारा एक तदर्थ समिति के माध्यम से सीधे नियंत्रित किया जाना तय है। बीसीसीआई ने पहले ही डीडीसीए के वार्षिक अनुदान को रोक दिया है और कुछ दिनों पहले एपेक्स काउंसिल के सदस्यों के बीच एक टेली-कॉन्फ्रेंस के दौरान एक तदर्थ निकाय बनाने की चर्चा हुई। एक वरिष्ठ बीसीसीआई अधिकारी ने नाम न छापने की शर्तों पर पीटीआई को बताया, 'जहां तक डीडीसीए का संबंध है, सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार की अंतहीन शिकायतें हैं। सर्वोच्च परिषद के अधिकांश सदस्यों को लगता है कि जब तक कोई हल नहीं निकलता। तब तक एक तदर्थ निकाय को रखा जाना चाहिए।'
संघ पर लगे कई आरोप, ज्यादातर सदस्य हैं सस्पेंड
डीडीसीए का अध्यक्ष पद इस समय खाली है क्योंकि वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं संघ के महासचिव विनोद तिहारा सीमा शुल्क अधिनियम के कथित उल्लंघन के चलते मेरठ जेल में हैं। डीडीसीए के अधिकांश एपेक्स काउंसिल के सदस्यों को राज्य के लोकपाल द्वारा वित्तीय रूप से संलिप्तता के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। इन आरोपों के अलावा, संघ के सदस्यों पर आयु समूह से लेकर रणजी टीम तक के चयन मामलों में योग्यता से समझौता करने का आरोप लगाया गया है।
बीसीसीआई एक नई बॉडी बनाने पर कर रहा विचार
बीसीसीआई अधिकारी के मुताबिक, 'इस समय कोई अध्यक्ष नहीं है और एक सचिव जो जेल में है और वह वापस नहीं आ सकता है। यहां तक कि उसे जमानत भी मिल जाए मगर वह पद पर दोबारा नहीं आ सकता। ऐसे में हमें एक दूसरे विकल्प पर विचार करना होगा। ठीक वैसे ही जैसे हमने राजस्थान में किया था, हम एक ऐसा निकाय बना सकते हैं जो क्रिकेट के साथ-साथ प्रशासनिक मामलों को भी देख सकता है।' यह पूछे जाने पर कि क्या लॉकडाउन समाप्त होने के बाद ही तदर्थ समिति की नियुक्ति हो सकती है, एपेक्स काउंसिल के एक अन्य वरिष्ठ सदस्य ने कहा, "आप कभी नहीं जानते, लॉकडाउन समाप्त होने से पहले भी ऐसा हो सकता है।"
Cricket News inextlive from Cricket News Desk