नहीं चुनने का निर्देश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चयनकर्ताओं ने रैना को कप्तान बनाने का निर्णय ले लिया था, लेकिन बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों के दखल के बाद उनसे यह मौका छीनकर उन्हें आराम दे दिया गया। वास्तव में इस दौरे के लिए 29 जून को टीम का चयन होना था और इसके दो दिन पहले ही यह बात सार्वजनिक हुई कि मोदी ने आईसीसी के सीईओ डेविड रिचर्डसन को ईमेल भेजकर रैना, रवींद्र जडेजा और ड्वेन ब्रावो द्वारा एक भारतीय उद्योगपति से रिश्वत स्वीकारने की बात बताई थी। इस खबर के उजागर होने के बाद बीसीसीआई ने चयनकर्ताओं को रैना को कप्तान के रूप में नहीं चुनने का निर्देश दिया।

मोदी द्वारा लगाए गए
जिससे चयनकर्ता इससे उलझन में पड़ गए क्योंकि उन्होंने तीन वन-डे और दो ट्वेंटी-20 मैचों के लिए उन्हें कप्तान बनाने का निर्णय कर लिया था। इसके बाद चयनकर्ताओं ने रैना को आराम दिए जाने वाले खिलाड़ियों में शामिल किया और अजिंक्य रहाणे को कप्तान बनाया था।चयन समिति की बैठक के बाद जब बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर से रैना के बारे में सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा कि ये तीनों अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं और इनके मामले में जांच आईसीसी करेगी। चूंकि आईसीसी से अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है, इसका मतलब यह है कि इन्हें क्लीन चिट है। इसके बाद रैना ने मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि वे कभी भी इस तरह के मामलों में संलग्न नहीं रहे और उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है।

कानूनी कार्रवाई के बारे में

इतना ही नहीं इस दौरान रैना ने यह भी कहा था कि वे मोदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के बारे में सोच रहे हैं। बीसीसीआई ने इस खबर का खंडन किया है कि ललित मोदी के ईमेल की वजह से जिम्बाब्वे दौरे पर सुरेश रैना को कप्तान नहीं बनाया गया और उन्हें आराम देकर अजिंक्य रहाणे को कमान सौंपी गई थी। बीसीसीआई के अनुसार सभी सीनियर खिलाड़ियों को रोटेशन पॉलिसी और जिम्बाब्वे के कम महत्वपूर्ण दौरे के मद्देनजर आराम दिया गया था। टीम के सभी सीनियर खिलाड़ी लंबे समय से खेल रहे थे और उन्हें आराम की आवश्यकता थी।

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