नई दिल्ली (पीटीआई)। कोविड-19 महामारी के बीच प्रशिक्षण को लेकर जारी बीसीसीआई के 100 पन्नों के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के मुताबिक, खिलाड़ियों को प्रशिक्षण शिविर के दौरान एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा। इसमें जोखिम भी शामिल होगी। 2019-2020 घरेलू सीजर मार्च में खत्म हो गया था। आने वाला सीजन आमतौर पर अगस्त में शुरू होता है लेकिन स्वास्थ्य संकट को देखते हुए इसमें कटौती कर दी गई है।

व्यक्तिगत तौर पर होगी स्वास्थ्य सुरक्षा की जिम्मेदारी

बीसीसीआई गाइडलाइन के अनुसार, राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों के खिलाड़ी, स्टाफ और अन्य लोग स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खुद जिम्मेदार होंगे। इसमें कहा गया है कि जब तक सरकार कोई उचित गाइडलाइन जारी नहीं करती तब तक सपोर्ट स्टाफ, ग्राउंड स्टाफ या अन्य अधिकारी जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है वे प्रशिक्षण शिविर में प्रतिबंधित रहेंगे। इनके साथ ही जिनकी मेडिकल कंडीशन ठीक नहीं होगी वे भी प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

लक्षण मिलने पर करानी पड़ेगी दो पीसीआर जांच

स्टेडियम से ट्रेनिंग के लिए यात्रा के दौरान खिलाड़ियों को सख्त सुरक्षा प्रोटोकाॅल का पालन करना होगा। शिविर शुरू करने से पहले मेडिकल टीम सभी खिलाड़ियों और स्टाफ की पिछले दो सप्ताह के यात्रा और मेडिकल हिस्ट्री के बारे जानकारी करेगी। यह जानकारी सभी को ऑनलाइन देनी होगी। किसी खिलाड़ी या स्टाफ में कोविड-19 लक्षण पाए जाने पर उनकी पीसीआर जांच कराई जाएगी। एक जांच पहले दिन और दूसरी तीसरे दिन होगी। दोनों जांच नेगेटिव पाए जाने पर ही उन्हें कैंप में शामिल किया जाएगा।

एन95 मास्क और चश्मा पहनना होगा अनिवार्य

खिलाड़ियों को स्टेडियम के रास्ते में बिना वाॅल्व वाले एन95 मास्क पहनना जरूरी होगा। खिलाड़ियों को सार्वजनिक स्थानों पर या प्रशिक्षण के दौरान चश्मा पहनना भी अनिवार्य होगा। शिविर के पहले दिन चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) द्वारा सभी खिलाड़ियों और स्टाफ के लिए एक वेबिनार एजुकेशन वर्कशाॅप का आयोजन किया जाएगा। एसओपी में सलाह दी गई है कि स्टेडियम तक खिलाड़ी अपने खुद के साधन से आना-जाना करें। आईसीसी के प्रतिबंधों के मुताबिक खिलाड़ी बाॅल पर थूक न लगाएं।

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