नई दिल्ली (पीटीआई)। बीसीसीआई अपने प्रमुख प्रथम श्रेणी घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का आयोजन इस साल नहीं करेगा। पिछले 87 सालों में यह पहली बार होगा जब रणजी ट्राॅफी नहीं खेली जाएगी। यह फैसला सभी राज्य क्रिकेट संघों के साथ मिलकर लिया गया है। राज्य इकाइयों ने बहुमत से रणजी की जगह विजय हजारे ट्राॅफी के आयोजन पर मुहर लगाई। BCCI सचिव जे शाह द्वारा राज्य इकाइयों को भेजे गए पत्र के अनुसार, BCCI वीनू मांकड़ ट्रॉफी के लिए U-19 नेशनल वन डे टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा। साथ ही महिला राष्ट्रीय 50-ओवर टूर्नामेंट भी खेला जाएगा।

बहुत मुश्किल है रणजी ट्राॅफी का आयोजन
रणजी ट्राॅफी को स्थगित करने का फैसला आसान नहीं था। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह इस टूर्नामेंट का आयोजन करवाना चाहते थे जिसमें खिलाड़ियों को हर मैच 1.5 लाख रुपये मैच फीस मिलती। मगर लंबे शेड्यूल के चलते दो महीने से ज्यादा वक्त तक बायो-बबल में रहना आसान नहीं है। ऐसे में मौजूदा हालात को देखते हुए रणजी ट्राॅफी का आयोजन न करने पर मुहर लगाई गई। शाह ने राज्य इकाइयों को एक पत्र लिखा, 'मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हम विजय हजारे ट्रॉफी के साथ-साथ सीनियर महिला एक दिवसीय टूर्नामेंट का संचालन करने जा रहे हैं और साथ ही वीनू मांकड ट्रॉफी भी खेली जाएगी।'

काफी समय गुजर गया
यह समझा जाता है कि बीसीसीआई हजारे ट्रॉफी के लिए संभवतः उसी ग्रुपिंग और बायो-बबल का पालन करेगा जो अगले महीने शुरू होगा।
शाह ने अपने पत्र में कहा कि कोविड-19 के दौर में में सीजन के लिए घरेलू कैलेंडर की योजना बनाना कितना मुश्किल था। शाह ने लिखा, "जैसा कि आप जानते हैं, हमने बहुत समय गंवा दिया है और खेल के सुरक्षित संचालन के लिए जरूरी सावधानियों के आधार पर क्रिकेट कैलेंडर की योजना बनाना मुश्किल हो गया है।" बीसीसीआई ने अपने एजीएम के दौरान फैसला किया था कि खिलाड़ियों को मुआवजा दिया जाएगा, क्योंकि एक खराब सीजन है और रणजी ट्रॉफी मैच की फीस से छूटे हुए खिलाड़ियों के साथ उनकी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखा जाए।'

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