अब तो सांस लेना भी दूभर

जैसे-जैसे ठंड परवान चढ़ रही है, वैसे-वैसे सुबह-शाम कोहरा और धुंध भी बढ़ता जा रहा है। सिटी में लगातार बढ़ता पॉल्यूशन और कोहरे का कॉम्बिनेशन लोगों के लिए खतरे की घंटी साबित हो रहा है। एक्सपट्र्स के मुताबिक इस कॉम्बिनेशन के चलते अक्सर ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है, जिससे खुली हवा में सांस लेना दूभर होता है। अनजाने में लोग अस्थमा और निमोनिया जैसी घातक बीमारी के शिकार हो जाते हैं। समय बीतने के साथ लक्षण सामने आने पर पता चलता है कि वह बीमारियों की गिरफ्त में आ चुके हैं।

इनके लिए है खतरनाक combination

अभी यह सिचुएशन दिसंबर, जनवरी और फरवरी के फस्र्ट वीक तक चलेगी। ऐसे में खासतौर से बच्चों और बुजुर्गों को संभलकर रहना होगा। इम्युनिटी पॉवर स्ट्रांग नहीं होने की वजह से वह आसानी से घातक बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। उनको सांस फूलने, सीने में दर्द, तेज खांसी, थकावट, कमजोरी और तेज फीवर की शिकायत हो सकती है। अगर ये लक्षण सामने आते हैं तो समझिए उनकी सेहत के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है।

पहले भी किया था alert

सिटी में पॉल्यूशन लेवल आज से नहीं बल्कि काफी पहले से खतरे का निशान पार कर चुका है। कई महीने पहले पॉल्यूशन कंट्रोल डिपार्टमेंट ने इसके बारे में एलर्ट भी किया था। उनका कहना था कि गाडिय़ों से निकलता जहरीला धुआं लोगों की सेहत पर भारी पड़ सकता है। एमएनएनआईटी हेल्थ सेंटर के सीएमओ डॉ। शैलेंद्र मिश्रा कहते हैं कि एक कार से प्रति किमी 0.3 केजी कार्बन डाई ऑक्साइड और कॉर्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है जो इन्वॉयरमेंट के लिए हॉर्मफुल है।

सबसे ज्यादा है इनको खतरा

डॉक्टर्स के मुताबिक इस मौसम में सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को है जो पहले से अस्थमा, सीओपीडी  और हार्ट प्रॉब्लम से परेशान हैं। उनको लगातार डॉक्टर के कांटेक्ट में रहना चाहिए और इन्हेलर थेरेपी का यूज करना चाहिए। डस्ट से बचाव और सुबह-शाम घर पर ही रहना उनकी सेहत के लिए फायदेमंद होगा। वरना अटैक पडऩे की जबरदस्त संभावना होती है।

कोहरे और पॉल्यूशन के कॉम्बिनेशन से डेंसिटी बढ़ जाती है और इसकी वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके चलते अस्थमा और अमोनिया की शिकायत के चांसेज बढ़ जाते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या ओपीडी में लगातार बढ़ रही है।

डॉ। आशुतोष गुप्ता, टीबी एंड चेस्ट फिजीशियन- फोटो भी है