- विश्व अस्थमा दिवस आज

- बच्चों में तेजी से बढ़ रही हैं सांस संबंधित दिक्कतें

GORAKHPUR: अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है। पूरे विश्व में लगभग 300 मिलियन लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। भारत में लगभग चार से छह प्रतिशत लोग अस्थमा से पीडि़त हैं। जिनमें सात से 11 प्रतिशत बच्चे हैं। बढ़ते प्रदूषण सहित अन्य कारणों के चलते इस रोग से ग्रसित लोगों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। आज विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर जानते हैं इस बीमारी के कारण और बचाव के तरीकों के बारे में।

सावधानी है जरूरी

चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ। नदीम अर्शद ने बताया कि हर साल दो मई को विश्व अस्थमा दिवस ग्लोबल इनिशिएटिव अस्थमा की ओर से मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य अस्थमा के बारे में जागरुकता बढ़ाना व उपचार संबंधित गाइड लाइन देना है। डॉ। नदीम अर्शद ने बताया कि अस्थमा फेफड़े की बीमारी है। जिसके मुख्य लक्षण सांस फूलना, सीने में जकड़न व खांसी आना है। आम तौर पर पर जब सांस की नली सामान्य रहती है तो फेफड़े से हवा आसानी से आ-जा सकती है। लेकिन अस्थमा के रोगियों में सांस की नली में सूजन, सिकुड़न व बलगम के फंसने से रोगी आराम से सांस नहीं ले पाता। डॉ। नदीम ने बताया कि अस्थमा के लक्षण डेली या समय-समय पर होते रहते हैं। अक्सर ये लक्षण रात या भोर में बढ़ जाते हैं।

सही इलाज ही बचाएगा

डॉ। नदीम ने बताया कि यह रोग पिछले दो दशक में काफी तेजी से बढ़ा है। जिसका मुख्य कारण अनुवांशिक या एनवायरनमेंट फैक्टर व मनुष्य का पश्चिमी शैली को अपनाना भी हो सकता है। मोटापा भी इसका एक कारण हो सकता है। डॉ। नदीम बताते हैं कि अगर रोगी इसका सही उपचार व बचाव कर ले तो एक साधारण जीवन व्यतीत कर सकता है। इसे कंट्रोल्ड अस्थमा कहते हैं। इसका मतलब है कि रोगियों में इसके लक्षण ना हों, रात में उसकी नींद खराब ना हो।

देरी ना पड़ जाए भारी

मेडिकल कॉलेज के टीबी व चेस्ट विभाग के एचओडी डॉ। अश्विनी बताते हैं कि अगर समय से अस्थमा का इलाज नहीं हुआ तो यह बीमारी लाइलाज हो जाती है। मरीज अपने नित्य कार्य करने में असमर्थ हो जाता है और कुछ समय बाद यह क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमॉनरी डिजीज (सीओपीडी) में परिवर्तित हो जाता है। बच्चों मे इस बीमारी का इलाज समय से ना होने पर इसका प्रभाव उनके विकास पर पड़ता है।

फैलाई गई जागरुकता

विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष्य में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी एवं चेस्ट विभाग में सोमवार को दो सौ मरीजों की नि:शुल्क कंप्यूटराइजड सांस की जांच गई। इसके साथ ही मरीजों को अस्थमा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गई। इस मौके पर चेस्ट फिजीशियन डॉ। शार्दुलम श्रीवास्तव व डॉ। संजीव जायसवाल ने मरीजों को अस्थमा के सही इलाज और बचाव के तरीकों के बारे में बताया।

अस्थमा के लक्षण

-सांस लेने में परेशानी होना

-सीने में जकड़न महसूस होना

- तेज सांस चलना, पसीना आना

- शरीर में भारीपन महसूस होना।

- सांस लेने पर थकावट महसूस होना

घरेलू नुस्खे देंगे राहत

- दो चम्मच आंवला और शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें

- एक कटोरी में शहद लेकर सूंघने पर सांस फूलने की तकलीफ कम होती है।

- सरसों के तेल में कपूर डालकर उसे गर्म करें और ठंडा होने पर पूरे शरीर पर मालिश करें।

- लहसुन फेफड़ों के कंजेक्शन को कम करता है। इसे दूध में डालकर बराबर सेवन करें।

- गर्म कॉफी पीने से अस्थमा पेशेंट्स को राहत मिल सकती है।

वर्जन

पिछले दो दशक में काफी तेजी से बढ़ा है। बच्चों में खासकर ये रोग काफी तेजी से बढ़ रहा है। अगर रोगी इसका सही उपचार व बचाव कर ले तो एक साधारण जीवन व्यतीत कर सकता है।

- डॉ। नदीम अर्शद, चेस्ट रोग विशेषज्ञ