लेते हैं मजे
साकची स्थित पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) डिपार्टमेंट की मानें तो डेली सौ नंबर पर करीब 500 से 600 कॉल्स आते हैं। इनमें 8 से 10 केसेज ही सॉल्व करने लायक होते हैं। पीसीआर ऑपरेटर का कहना है कि करीब 70 परसेंट कॉल्स ऐसे होते हैं, जिन्हें लोग मजे लेने के लिए करते हैं। तो ऐसी होती है जो लोग मजे लेने के लिए करते हैं। कई लोग तो पीसीआर को कस्टमर केयर सेंटर समझते हैं। लोग फोन लगाकर कहते हैं कि मेरे फोन पर गाना एक्टिवेट कर दीजिए, डीएक्टिवेट कर दीजिए, वगैरह वगैरह।

अब खैर नहीं
फेक कॉल करने वालों के खिलाफ अब पुलिस भी सख्त एक्शन लेने के मूड में है। इमरजेंसी नंबर्स पर दिन-ब-दिन बढ़ती फेक कॉल्स को देखते हुए सिटी एसपी ने यह ऑर्डर दिया है कि अगर किसी पर्टिकुल नंबर से बार-बार फेक कॉल्स आती हैं तो उस नंबर को ट्रेस कर उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। थर्सडे को पीसीआर में कुल 632 कॉल्स आईं, जिनमें केवल 4 केसेज ही सॉल्व करने लायक थे।

करते हैं टाइम पास
गोलमुरी स्थित फायर स्टेशन के फोन ऑपरेटर एमके शुक्ला ने बताया कि कई लोग ऐसे भी हैं जो महज टाइम पास के लिए फायर स्टेशन में फोन करते हैं। कभी-कभी तो केवल मिस कॉल करके  परेशान करते हैं। इस वजह से जरूरत के समय कभी-कभी फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां मौके पर नहीं पहुंच पातीं। उन्होंने बताया कि डेली करीब 40 से 50 कॉल्स ऐसी होती हैं, जो केवल परेशान करने के लिए होती हैं। कई लोगों को ये भी नहीं मालूम कि 102 नंबर फायर स्टेशन का है।

लोगों में है गलतफहमी
फायर स्टेशन के ऑपरेटर एमके शुक्ला बताते हैं कि 100 और 102 नंबर को लेकर लोगों में काफी गलतफहमी है। कई लोग 102 नंबर पर फोन लगाकर कहते हैं कि यहां मर्डर हो गया है, वहां चोरी हो गई है एफआईआर लिख लीजिए। जबकि इसके लिए पीसीआर का 100 नंबर है। उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले धनबाद में ऐसे फेक कॉल्स करने वालों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की थी। इसके बाद वहां के फायर स्टेशन में फेक कॉल्स आने कम हो गए।

Report by: rajnish.tiwari@inext.co.in