सोमवार से शुरू होगा सावन माह, शिव मंदिरों में तैयारियां जोरों पर

मनकामेश्वर, कोटेश्वर महादेव व दशाश्वमेध मंदिर में होगी भस्म आरती

ALLAHABAD: भगवान भोलेनाथ के पूजन-अर्चन का सबसे महत्वपूर्ण माह सावन की शुरुआत दस जुलाई से हो रही है। इसके लिए शहर के शिवालयों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सोमवार से शुरु हो रहे सावन से पहले मनकामेश्वर मंदिर, कोटेश्वर महादेव मंदिर, नागवासुकी मंदिर, दशाश्वमेध मंदिर व तक्षकतीर्थ सहित अन्य शिव मंदिरों में विशेष इंतजाम किए गए हैं। कोटेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी रवि गिरि ने बताया कि पहला ही दिन सोमवार पड़ रहा है। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ का भस्म से श्रृंगार किया जाएगा। सुरक्षा के लिए रविवार को चार सीसीटीवी कैमरा लगाया जाएगा। मनकामेश्वर मंदिर के प्रभारी श्रीधरानंद ब्रह्माचारी ने बताया कि पहले दिन भस्म से श्रृंगार के बाद चार प्रहर का विशेष अभिषेक होगा।

मनकामेश्वर मंदिर : सरस्वती घाट के पश्चिम की ओर यमुना बैंक रोड पर मनकामेश्वर शिव मंदिर स्थित है। ये सावन में लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का बड़ा केन्द्र होता है। जनश्रुति है कि यहां दान पुण्य करने से पिशाच बाधा से मुक्ति मिल जाती है। काशी विश्वनाथ की तर्ज पर यहां भी शिवलिंग के इर्दगिर्द 30 किग्रा की चांदी जड़ी गई है।

नागवासुकी मंदिर : ये वेणीमाधव मंदिर के आगे गंगा के किनारे पाषाण निर्मित भव्य घाट पर स्थित है। इनकी गणना प्रयाग के प्रमुख देवों में की जाती है। मंदिर में वासुकीराज की अनूठी मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर मध्य कालीन स्थापत्य कला का अप्रतिम उदाहरण है।

दशाश्वमेध मंदिर : मान्यता है कि ब्रह्मा जी द्वारा यहां पर अश्वमेध यज्ञ किया गया था। मंदिर में दशाश्वमेधेश्वर महादेव, शिवलिंग, विशाल त्रिशूल व चैतन्य महाप्रभु का चरण चिन्ह स्मारक भी मौजूद है। मंदिर के गर्भगृह में दो काले पत्थर के शिवलिंग हैं। जनश्रुति है कि प्राचीन शिवलिंग मुगल शासक औरंगजेब द्वारा खंडित कर दिया गया था।

कोटेश्वर महादेव : गोविंदपुर आवासीय योजना व नारायणी आश्रम के बीच गंगा तट पर प्राचीन शिवकोटि महादेव मंदिर स्थित है। इस मंदिर में शिवलिंग स्थापित है। जनश्रुति है कि त्रेतायुग में वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण व माता जानकी यहां से गुजरे थे।