-बीएचयू में बवाल की भनक तक नहीं लगती खुफिया विभाग को

- पूर्व नियोजित तांडव रोकने में विफल रहता है प्रशासन

बीएचयू में पिछले दो साल में कई बार बवाल हो चुका है। घटनाएं देश की सुर्खियां बन चुकी हैं। साल भर पहले 23 सितंबर का वह दिन भी हर किसी को याद है जब सैकड़ों छात्राएं सिंहद्वार पर प्रदर्शन की थीं। उस दौरान लाठीचार्ज, बमबाजी और आगजनी हुई थी। पीएम शहर में रहे और डीएलडब्ल्यू से अस्सी आने के लिए पीएम का रूट सुंदरपुर से बदल दिया गया था। बार-बार बीएचयू में बड़े बवाल की पटकथा लिखी जाती है लेकिन एलआईयू को भनक तक नहीं लगती है। बवालियों का खेल अंदर ही अंदर चलता है और एलआईयू हर बार की तरह फेल साबित होती है। सोमवार की रात बीएचयू में हुई हिंसक घटना की भी भनक एलआईयू को नहीं लगी। मंगलवार की दोपहर में एलआईयू की टीम कैंपस में चक्रमण करती देखी गई। यही हाल कमोबेश बीएचयू सुरक्षाकर्मियों का भी है। उन्हें भी घटना होने का पूर्व अभास नहीं होता।

पहले ही लिख दी गई थी पटकथा

सोमवार की रात को कुलपति आवास पर पथराव, कुलपति व चीफ प्राक्टर के खिलाफ आंदोलन की पटकथा एक दिन पहले ही लिख दी गई थी। इसके बाद भी खुफिया तंत्री इसको भांप नहीं पाया। इसका नतीजा रहा कि 12.20 बजे से मंगलवार भोर तक वीसी लॉज से बिड़ला चौराहे व धन्वंतरी हास्टल तक बवाल की आग की लपटें उठती रही। चर्चा है कि बीएचयू में मुट्ठी भर कुछ छात्र है जो पूरे कैंपस का माहौल खराब करके रखे हुए है। जिन्हें राजनीति से जुड़े लोगों का शह प्राप्त है। बात तो यहां तक होत ही कि कैम्पस के ही कुछ लोग आग में घी डालने का काम करते हैं। इनके उकसाने पर ही छात्र बीएचयू प्रशासन का बड़ा नुकसान करते है। यह बीएचयू प्रशासन को भी पता है मगर कुछ ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।