-यूनिवर्सिटी में नए साल से शुरू हो जाएगा 250 करोड़ की लागत से बन रहा सीडीसी

- अपने तरीके के देश के इस पहले सेंटर में विभिन्न क्षेत्रों में होगा रिसर्च

पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुके पं। मदन मोहन मालवीय की बगिया बीएचयू अब रिसर्च का भी केंद्र बनेगा। पिछले दो साल से यूनिवर्सिटी कैंपस में बन रहा देश का पहला सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर (सीडीसी) लगभग बनकर तैयार हो चुका है। 250 करोड़ की लागत से बन रहा ये सेंटर पुरावशेषों के बारे में रिसर्च करने वाला देश का पहला सेंटर होगा। यहां की लैब में स्थापित आइसोटोप्स रेशियो मॉस स्पेक्ट्रोमेटी से पुरवशेषों की सही उम्र का पता लग सकेगा। अब तक सही उम्र का पता लगाने के लिए पुरावशेषों को फॉरेन यूनिवर्सिटी में भेजना पड़ता है या पुरातत्वविद केवल आकलन ही कर पाते हैं।

जनवरी से होगा शुरु

सीडीसी अगले साल जनवरी से शुरू हो जाएगा। सेंटर में जहां जीव से लेकर मैटेरियल, पेड़-पौधों तक पर शोध किए जाएंगे तो खुदाई में मिलने वाले पुरावशेषों के बारे में भी सटीक जानकारी मिल सकेगी। इसे शुरू करने को लेकर तैयारियां तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि अगले साल से बीएचयू को देश के प्रमुख अविष्कार केंद्र के रूप में पहचान मिलेगी। यह देश में पहला अपने तरीके का सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर होगा।

अंतिम दौर में है काम

गुणवत्तापरक शोध के लिए बड़े प्लेटफॉर्म के रुप में बीएचयू में सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर का प्लान के सपने को साकार करने में महज दो साल का समय लगा है। 15000 वर्ग मीटर एरिया में 100 करोड़ की लागत से आठ मंजिला भवन बनने के बाद 150 करोड़ की लागत से आधुनिक उपकरण लगाने का काम अंतिम दौर में है। खास बात ये भी है कि यह सेंटर पूरी तरह सौर उर्जा पर बेस है। सेंटर में बेहतर शोध के साथ नये आइडिया परखने के लिए सभी संसाधन एक छत के नीचे मिलेंगे।

एक ही जगह मिलेगा सबकुछ

यहां स्थापित हाई इमेजनरी लैब में न केवल बीएचयू, बल्कि देश के किसी भी यूनिवर्सिटी व अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के टीचर्स और छात्र विज्ञान, तकनीकी, इतिहास, कृषि, मेडिकल आदि से जुड़े शोध कर सकेंगे। इसमें किसी भी उपकरण के लिए दूसरी जगहों पर जाने की जरूरत नहीं होगी। अगर शोध के दौरान किसी शिक्षक या शोध छात्र को किसी दूसरी यूनिवर्सिटी के टीचर्स से कोई जानकारी चाहिए तो वह भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात कर सकेंगे। यहीं नहीं विदेशों के एक्सपर्ट के लेक्चर भी ऑनलाइन उपलब्ध होंगे।

रिसर्च होगा आसान

डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) की ओर से सुपर स्फीकेटेड एनालिटिकल इक्यूपमेंट स्कीम के तहत सीडीसी को मिले उपकरणों में इमेजिंग सेटअप और मैटेरियल एनालिसिस आईसीपीएमएस भी शामिल है। इमेजिंग सेटअप में इलेक्ट्रान माइक्त्रोस्कोप लगाया जाएगा। इससे छोटी से छोटी कोशिका के भाग देखे जा सकेंगे। जबकि कनफोकल माइक्त्रोस्कोप से किसी मटेरियल की स्थिति जानने में आसानी होगी।

अप्रूवल के बाद बाहरी को मौका

कुल आठ प्लोर के इस एसडीसी में हाई इमेजिनरी लैब के साथ-साथ हर फ्लोर पर अलग-अलग शोध के लिए लैब बनाए गए हैं। इसके अलावा यहां एजुकेशनल मीडिया और इनोवेशन सेंटर, हाई परफॉमर्ेंस कंप्यूटिंग सेंटर भी बनाया गया है। रिसर्च पर नजर रखने के लिए अलग कमेटी भी होगी। जिसमे अप्रूवल के बाद ही बाहरी वैज्ञानिकों को लैब में काम करने का मौका मिलेगा।