बिग बी अमिताभ बच्चन ने इंस्टाग्राम पर शेयर की उस बंगले की तस्वीरें जहां बीता बचपन

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने यादों के बहाने बंगले के पास रहने वालों से की मुलाकात

ALLAHABAD: जिंदगी के 74 बसंत देख चुके बिग बी अमिताभ बच्चन को याद आया बचपन। बचपन याद आया तो उन्हें इलाहाबाद के उस बंगले की भी याद आ गई जहां बचपन बीता था। उस बंगले में वे पिता हरिवंश राय बच्चन, माता तेजी राय बच्चन और छोटे भाई अजिताभ बच्चन के साथ रेंट पर रहते थे। उनकी यादों का गवाह बना उनका इंस्टाग्राम। जिस पर अमिताभ बच्चन ने 12 जून को इलाहाबाद के 17 क्लाइव रोड स्थित बंगले की कई तस्वीरें साझा कीं। इसके साथ ही उन्होंने 1950 का बचपन और बाद में 1984 जब वे यहां आए थे को याद किया। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम इसे लेकर क्लाइव रोड पहुंची तो ऐसा लगा जैसे बंगला आज भी उनका इंतजार कर रहा है। पड़ोसियों को जब पता लगा कि अमिताभ को बचपन याद आया है तो छूटते ही बोले हमी कब उन्हें भूल पाए हैं।

लाखों लाइक, हजारों कमेंट

बिग बी ने 12 जून को इंस्टाग्राम पर कुर्ता और पायजामा पहने कई तस्वीरें साझा की। तस्वीरें उस समय की हैं जब वे 1984 में वे संसदीय चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद आए थे। इनमें वह क्लाइव रोड स्थित बंगले में गार्डेन में टहलते नजर आ रहे हैं। पीछे मेन गेट पर प्रशंसक उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब हैं। इंस्टाग्राम पर तस्वीरें साझा होने के बाद उनके चाहने वालों ने लाइक करना शुरू कर दिया। तीनों तस्वीरों को तीन लाख से अधिक लोगों ने लाइक किया। दो हजार से अधिक लोगों ने कमेंट किया। कमेंट में उनके अधिकतर प्रशंसकों ने यही लिखा कि 'आप जिस बंगले में रहते थे उसे आज भी आपके नाम से जाना जाता है'। उनके चाहने वाले कई लोगों ने कमेंट के जरिए अमिताभ बच्चन से पूछा कि 'सर आप कब यहां पर आ रहे हैं'। गार्डेन के बीच खूबसूरत बंगले की तस्वीर देखकर कई इलाहाबादियों ने लिखा कि 'यह आपकी सज्जनता है कि आप आज भी उस बंगले को याद करते हैं'।

खरीदने का सपना नहीं हुआ पूरा

17 क्लाइव रोड स्थित जिस बंगले में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का बचपन बीता, वहां से उनके माता-पिता की यादें जुड़ी हुई हैं। उस बंगले को अपना बनाने का सपना बिग बी कभी पूरा नहीं कर सके। वर्ष 1989 में बिग बी ने संसदीय चुनाव लड़ने के दौरान इस बंगले को खरीदने की इच्छा जताई थी लेकिन उनकी यह बात बंगले के मालिक और उस दौर के जानेमाने अधिवक्ता शंकर तिवारी ने नहीं मानी।

यह खासियत है बंगले की

स्व। हरिवंश राय बच्चन 1939 में कटघर स्थित मकान को छोड़कर क्लाइव रोड स्थित बंगले में किराए पर रहने आए थे। बंगले के पास रहने वाले मनोज ने बताया कि बंगले के माली महरानी दीन अक्सर बताया करते हैं कि बंगले में तीन बड़े-बड़े कमरे हैं। एक कमरा सबसे खास है। इसमें दरवाजे, खिड़की व रोशन द्वार मिलाकर दस द्वार हैं। इस वजह से इसे दस द्वार वाला बंगला कहा जाता है।

बिग बी को हिन्दुस्तान में कौन नहीं जानता है। हम तो उस दिन का इंतजार कर रहे हैं कि वे इलाहाबाद आएं और बंगले में जरुर जाएं।

सिंकदर भरत कोचर

मैं तो हर वक्त उस बंगले को निहारता हूं। जहां पर अमिताभ जी का बचपन बीता था। सपना है कि एक बार उन्हें इस बंगले में साक्षात देख सकूं।

श्रवण कुमार सिंह

बंगले के माली महरानी दीन से रोज मुलाकात होती है। वह अक्सर बिग बी की चर्चा करता है। अब तो उन्हें इस बंगले को खरीद लेना चाहिए।

मनोज

वह तो बहुत बड़े आदमी हैं। बंगला खरीद लेंगे तो हम लोग भी गर्व से कह सकेंगे कि अमिताभ जी के पड़ोसी हैं।

तारा

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जूनी को याद आती है बचपन की आइस-पाइस

जूनी और नेओमी कोचर के साथ अमिताभ और अजिताभ ने खूब खेली थी लुकाछिपी

दोनों के पिता थे आपस में दोस्त, अक्सर एक दूसरे के घर आना-जाना होता था

ALLAHABAD: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन द्वारा इंस्टाग्राम पर क्लाइव रोड के बंगले की तस्वीर शेयर करने की जानकारी जूनी कोचर को मिली तो उनकी जुबान से यही निकला 'अरे अमित ने शेयर की हैं तस्वीरें'। जूनी कोचर वह नाम है जिन्होंने बचपन में अमिताभ बच्चन यानि अमित और उनके छोटे भाई अजिताभ बच्चन उर्फ बंटी के साथ खूब धमाचौकड़ी मचाई थी। क्लाइव रोड स्थित बंगला नम्बर 17 से ठीक सटा जूनी कोचर का बंगला है। जो उनकी ससुराल है, लेकिन अमिताभ व अजिताभ के साथ उनकी दोस्ती 1952 के आसपास थी।

सेंट जोसेफ कॉलेज के पीछे

जूनी कोचर ने बताया कि उनके पिता बैरिस्टर चंद्रशेखर सरन और हरिवंश राय बच्चन घनिष्ठ मित्र थे। उस समय हम लोग सेंट जोसेफ कालेज के पीछे रहते थे। वहां बच्चन जी अमित और बंटी को लेकर अक्सर आते थे। पैरेंट्स अमिताभ को 'अमित' और अजिताभ को 'बंटी' नाम से बुलाते थे। बड़ी दीदी नेओमी, मैं अमित व बंटी चारों मिलकर खूब धमाचौकड़ी मचाते थे। सबसे अधिक मजा आइस-पाइस (लुकाछिपी) में आता था। हम दोनों बहनें भी माता-पिता के साथ क्लाइव रोड स्थित बंगले में जाते थे। यह सिलसिला 1957 तक लगातार चला। बच्चन फैमिली के यहां से जाने के बाद ये सिलसिला टूट गया।

अनारकली में तेजी राय ने रोल प्ले किया

जूनी कोचर ने बताया कि मेरी माताजी सादिका सरन और तेजी राय बच्चन रंगमंच की कलाकार थीं। घर पर ही अभिनय को लेकर दोनों में खूब बातें होती थी। दोनों ने प्रयाग संगीत समिति में एक साथ 'अनारकली' नाटक का मंच पर मंचन किया था।