- गूगल ने बनाया एनिमेटेड डूडल, ट्रैफिक लाइट के 101 साल पूरे होने का मनाया जश्न

- अमेरिकी पुलिसकर्मी लेस्टर वायर ने पहली बार बनाया था इलेक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट

- अमेरिका के ओहियो में ईस्ट 105वीं स्ट्रीट और इयूक्लाइड एवेन्यु एरिया में लगा गया था फ‌र्स्ट टै्रफिक लाइट

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PATNA: इलेक्ट्रिक सिग्नल के क्0क् साल पूरे होने पर बुधवार को गुगल ने कमाल का डूडल बनाया है। गुगल खोलते ही डूडल पर दौड़ती भागती गाडि़यां दिखती है जो सिग्नल के रेड होने पर रुक जाती हैं और हरा होते ही सड़क पर फर्राटे भरने लगती हैं। गुगल ने पुराने जमाने के कार को एनिमेटेड डूडल पर बनाया है जिसमें गूगल लिखी छह कारें ट्रैफिक सिग्नल पर आकर रुक रही हैं और आगे बढ़ती दिखाई दे रही हैं।

ट्रैफिक लाइट का इतिहास

ट्रैफिक सिग्नल से हमारी मुलाकात दिनभर में न जाने कितनी बार होती है। सड़क के सिग्नल पर जब रेड लाइट यानी लाल रंग की लाइट जलती है तो आप अपने वाहन को रोक देतें हैं, उसके बाद पीला और फिर हरे रंग की लाइट जलने के बाद तेजी से आगे निकल जाते हैं, पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ट्रैफिक लाइट का इजाद कैसे हुआ और सबसे पहले इसे कहां लगाया गया था? इसके पीछे बेहद दिलचस्प कहानी है .इलेक्ट्रिक ट्रैफिक सिग्नल को एक अमेरिकी पुलिसमैन लेस्टर वायर ने सबसे पहले क्9क्ख् में बनाया था और इसका सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल भ् अगस्त क्9क्ब् को किया गया। लेस्टर वायर ने रोड पर फर्राटे भर रहे वाहनों को रोकने के लिए लाल और रवाना होने का संकेत देने के लिए हरी लाइट का इस्तेमाल किया था। पांच अगस्त को अमेरिकी ट्रैफिक सिग्नल कंपनी ने ओहियो में ईस्ट क्0भ्वीं स्ट्रीट और इयूक्लाइड एवेन्यु पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए थे।

ट्रैफिक कंट्रोल के लिए हाथ का प्रयोग

जब इलेक्ट्रिक सिग्नल नहीं हुआ करते थे, तब पुलिस ऑफिसर वाहनों को नियंत्रित करने के लिए अपने हाथों का प्रयोग करते थे। इसके बाद सन् क्9ख्0 में वायर ट्रैफिक सिस्टम इस्तेमाल किया जाने लगा और इसमें एक घंटी लगाई गई, जिसे बजाकर यह संकेत दिया जाता था कि लाइट ग्रीन या रेड होने वाली है। इसके बाद घंटियों की जगह कुछ दिन बाद एम्बेर लाइट लगा दी गई और तब से लेकर आज तक ट्रैफिक सिग्नल पर यह प्रणाली इस्तेमाल की जा रही है। हालांकि अभी भी कई शहर में ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए ट्रैफिक पुलिस मौजूद होते हैं जो अपने हाथ का इस्तेमाल करते हैं या अपने हाथ में लाल व हरी लाइट वाली स्टीक लेकर ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं।

सिग्नल में तीन रंग ही क्यों

ट्रैफिक सिग्नल में रेड, येलो और ग्रीन कलर इन तीन रंगों का ही प्रयोग क्यों किया गया? इसका सीधा सा जवाब है रेड कलर से रुकिए, येलो से तैयार हो जाइए और ग्रीन कलर का मतलब है आगे बढि़ए। आपका सोचना बिलकुल सही है, लेकिन इन कलर्स का मतलब इनसे भी बढ़कर है आइए जानते हैं

रेड लाइट : ट्रैफिक सिग्नल में रेड कलर का अपना एक खास महत्व है। क्योंकि रेड कलर का वेव अन्य कलर्स के मुकाबले सबसे तेज होता है। जो कि हमारे आखों के रेटिना पर सबसे पहले अपना प्रभाव छोड़ता है। इस कलर को आसानी ने हम कितनी भी दूर से देखनें में सक्षम होतें हैं। इसके अलावा सिग्नल में रेड कलर का प्रयोग न केवल आपको रोकने के लिए किया जाता है बल्कि यह इस बात का भी संकेत देता है कि आपके आगे खतरा है। लाल रंग रक्त और हिंसा का घोतक होता है जिसके कारण इसका प्रयोग यातायात को रोकने के लिए किया जाता है।

येलो लाइट : येलो कलर उर्जा और सूर्य का घोतक है। यह कलर आपको निर्देशित करता है आप अपनी उर्जा को समेट कर तैयार हो जाइए। इसके अलावा येलो कलर शुभ भी माना जाता है। किसी भी कार्य को शुरू करने के दौरान पीले रंगों को ही प्रयोग किया जाता है। ट्रैफिक सिग्नल पर जब पिले रंग की लाइट जलती है तो उसका मतलब यही होता है कि आप अपने वाहन के इंजन को स्टार्ट कर लें यानी की अपनी उर्जा एकत्रीत कर लें।

ग्रीन लाइट : हरा रंग प्रकृती और शांति का घोतक होता है। हरा रंग देखकर आंखों को सकून मिलता है। इसके अलावा यह रंग खतरे के बिलकुल विपरीत होता है। जैसा कि लाल रंग का प्रयोग वाहनों को रोकने के लिए किया जाता है उसी प्रकार हरे रंग का प्रयोग वाहनों को आगे बढ़ने के लिए किया जाता है। इन तीनों ही रंगों को उनके गुण और क्षमता के आधार पर प्रयोग किया जाता है।