पटना(ब्यूरो)। मंदिरी नाला 'डेथ वैलीÓ बन चुका है। इस नाले के किनारे बनी सड़क से गुजरने पर आप कभी भ्भी हादसे का शिकार हो सकते हैं। नाला से सटे करीब 800 मीटर लंबी सड़क के नीचे से मिट्टी का कटाव हो चुका है। घनी बसावट के बीच बनी इस सड़क से आवाजाही करना उनकी मजबूरी है। सघन आबादी और बड़े -बड़े मकान इस नाला के पास ही हैं। सड़क का एक हिस्सा नाला की ओर झुक गया है। पटना में सैदपुर नाला जैसी भयावह स्थिति हो गयी है। स्थानीय लोगों में भय और गुस्सा दोनों है। क्योंकि वे और उनका परिवार अनसेफ है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसकी पड़ताल की है।

पटना नगर निगम है दोषी
बार-बार आमजन से फीडबैक मिलने के बाद भी पटना नगर निगम की ओर से नाला की सफाई जेसीबी से की जाती हैै। इसका परिणाम यह है कि नाला से सटे सड़क का नीचे का हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया है। जेसीबी से इसके नीचे का हिस्सा भी बार-बार छिलकर लगभग खोखला हो गया है। स्थानीय नागरिक विनोद यादव का कहना है कि निगम की ओर से मंरिी नाला पर सड़क बनाया जाना था और काम बीच में छोड़ दिया गया। अब यहां की सड़क भी बह जाने की स्थिति में आ चुकी है। निगम ने लापरवाही की है।

यह हिस्सा है खतरनाक
मंदिरी नाला का वह हिस्सा जो कि इनकम टैक्स से होता हुआ पप्पू यादव के पार्टी कार्यालय तक में यह स्थिति है। यहां पर सड़क खोखला हो चुका है। कभी भी यह सड़क नाला में समा सकता है और कोई बड़ा हादसा हो सकता है। करीब 800 मीटर के इस हिस्से में यदि कोई हादसा हो गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? इसके आगे नाला कम से कम चलने लायक है। हालांकि वहां भी बैरीकेडिंग नहीं है।

आठ महीने से कोई एक्शन नहीं
मंदिरी नाला पर सड़क बनायी जानी थी। इसके लिए नगर निगम की ओर से टेंडर जिस कंपनी को दिया गया था, वह समय पर इस काम को पूरा नहीं कर सका। इस बाबत अक्टूबर, 2022 में संबंधित कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। इसके साथ ही निगम की ओर से आगे कोई एक्शन नहीं लिया गया। न तो अन्य कंस्ट्रक्शन कंपनी को काम दिया गया और न ही इसे सेफ बनाने के लिए सड़क को सेफ बनाने के लिए इसके रूट एरिया को ही सेफ किया गया। ऐसा ही एक मामला नेहरू नगर नाला का भी था, जिसे सेफ बनाने के लिए रूट से बैरिकेडिंग कर दिया गया, जो अभी भी कायम है।

कंस्ट्रक्शन अधूरा छोड़ देने से मामला गंभीर
अक्टूबर, 2022 से मंदिरी नाला का काम आधा -अधूरा छोड़ दिया गया और इसके बाद से कंस्ट्रक्शन का काम फिर से शुरू होना तो दूर, निगम के किसी अधिकारी ने इसे एक बार विजिट करना भी उचित नहीं समझा। स्थानीय नागरिकों का भी कहना है कि कंस्ट्रक्शन शुरू होने से उन्हें उम्मीद थी कि उनकी सड़क जो पहले भी ओपन नाले की वजह से क्षतिग्रस्त होता रहता था, वह सेफ हो जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

निर्माण कंपनी के ब्लैक लिस्टेड होने के बाद देखनेवाला कोई नहीं
स्थानीय नागरिक और समाजसेवी अजय कुमार पटेल ने कहा कि लालू यादव जब सीएम होते थे, तब इस नाले पर सड़क बनाने की बात शुरू हुई थी। इस मामले पर स्थानीय नागरिकों के दबाव के बाद तत्कालीन डीएम दीपक कुमार के समय पीआरडी को यह भेजा गया था। इसके बाद भी एक बार और प्रयास किया गया। तब यह तय किया गया कि स्मार्ट सिटी इस नाला पर सड़क का निर्माण करेगी। लेकिन मौजूदा हाल सामने है। निर्माण कंपनी के ब्लैक लिस्टेड होने के बाद इस नाले का कोई माइ-बाप नहीं है।

ये था प्लान
यदि मंदिरी नाला पर सड़क बनाया जाता तो मंदिरी नाला पर बनने वाली सड़क को अशोक राजपथ के बाद एलीवेटेड जेपी गंगा पथ से जोडऩे का निर्देश सीएम नीतीश कुमार ने दिया था। यह बात दिसंबर, 2021 की है। तब उम्मीद बंधी थी कि इससे लाखों लोगों को लाभ होगा और शहर में कनेक्निटिवी भी बढ़ जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।


कमिश्नर ने नहीं उठाया फोन
जनहित के इस गंभीर विषय पर पटना नगर निगम का पक्ष जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने निगम कमिश्नर अनिमेश कुमार पराशर से फोन पर संपर्क किया। लेकिन कमिश्नर ने फोन उठाना उचित नहीं समझा। हालांकि इससे पहले कमिश्नर कह चुके हैं कि निमार्ण कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने के बाद टेंडर कराया जाएगा। इसके बाद भी नई निर्माण कंपनी का चयन किया जाएगा।