पटना ब्‍यूरो। केरल में हिन्दी के प्रचार-प्रसार और हिन्दी-साहित्य के मलयालम अनुवाद पर पर्याप्त बल दिया जा रहा है। केरल के सभी शिक्षित लोग हिन्दी समझते और बोलते हैं। वहां हिन्दी से भी उतना ही प्रेम किया जाता है, जितना मलयालम से। अब दक्षिण भारत के राज्यों में दुकानों और मकानों पर हिन्दी में भी नाम पट्टिकाएं लगायी जाएंगी। यह आश्वासन केरल से आए 12 साहित्यकारों के एक समूह ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित हिन्दी-मलयालम साहित्य समागम में, बिहार के हिन्दी-सेवियों को दिया। पर्यटक-समूह का नेतृत्व कर रहे हिन्दी और मलयालम के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा आर सुरेंद्रन ने कहा कि हिन्दी के माध्यम से सभी भाषाओं को जोडऩे का काम केरल में विशेष रूप से किया जा रहा है। डॉ। सुरेंद्रन ने केरल के विशेष सम्मान से सम्मेलन अध्यक्ष डॉ। सुलभ को विभूषित किया।
इस अवसर पर सम्मेलन अध्यक्ष डॉ। अनिल सुलभ ने डॉ। सुरेंद्रन समेत केरल के 12 कवियों और कवयित्रियों तथा झारखंड के तीन साहित्यकारों को सम्मानित किया। इनमे डॉ। के सी अजय कुमार, डॉ। एम के प्रीता, प्रो के जे रामाबाई, डॉ। षीना ईपन, के राजेंद्रन, ओ कन्नीक्कणारन, सलमी सत्यार्थी, के पी सुधीरा, डॉ। प्रसन्ना कुमारी एन, एम हरिदास, पी आई अजयन, डॉ। मोहित कुमार दूबे, डॉ। उषा, डा अमित कुमार सुमन और डॉ। प्रदीप कुमार दूबे के नाम शामिल हैं।