पटना (ब्यूरो)। पटना समेत पूरे उत्तर भारत में स्मॉग जैसी धुंध में लिपटा रहा। इस वजह से एयर क्वालिटी पूअर कैटेगरी में दर्ज की गई है। दिल्ली से लेकर वेस्ट बंगाल तक स्मॉग का असर दिख रहा है। बीते दो दिनों से पटना की एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के आस-पास रिकार्ड किया जा रहा है। सुबह से शाम तक हवा की गति बेहद मंद, बादल छाए रहने और वाहनों से उत्सर्जित प्रदूषित गैसों के शाम तक जमा होने के कारण हवा दमघोंटू सी महसूस की गई। स्मॉग का असर ऐसा रहा कि सुबह दस बजे भी 100 मीटर से कम की विजिबिलिटी रही। पास की चीजें धुंधली नजर आ रही थी। प्रदूषण के जानकारों की राय में यह बेहद गंभीर संकेत है। क्योंकि अभी ठंड बढऩे वाला है। यदि असर आगे भी रहा तो कम से कम जनवरी तक के बीच में ऐसे कई दिन हो सकते हैं। जिससे बचने के लिए जरूरी कदम उठाने जरूरी हैं।

इसलिए नहीं सुधरी हवा
आखिर क्या वजह है कि स्मॉग की वजह से पटना की हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। लेकिन इससे जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इस सवाल के जबाव में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के प्रोफेसर एवं वरीय मौसम वैज्ञानिक प्रधान पार्थसारथी का कहना है कि यहां हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व डिस्पर्स यानि बिखर नहीं पा रहा। इस वजह से प्रदूषक तत्व सघन रूप से धरातल के आस-पास ही जमा हुआ है। वर्तमान स्थिति थोड़ा जटिल है। शनिवार को यहां बादल छाए हुए थे और हवा भी नहीं चल रही है। जबकि बड़ी संख्या में वाहनों से निकले प्रदूषक तत्व हवा में जमा हो रहे हैं। इसलिए यह एक प्रकार से संदूक जैसा आवरण बन गया है। जहां बादल होने की वजह से हवा निचले सतह पर ही स्थिर है और उसमें तमाम प्रदूषित तत्व भी एक परत बनाकर जमा हो रहे हैं। इसलिए प्रदूषण का स्तर ज्यादा महसूस किया गया।

ऐसे प्रयास करने होंगे
सीड की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अंकिता ज्योति ने बताया कि इस बात को समझना होगा कि यहां भी दिल्ली की भांति ऑड इवेन और विशेष परिस्थिति में हेल्थ इमरजेंसी और उसके अनुसार जरूरी उपायों को तुरंत लागू करने की जरूरत है। तभी इसकी समस्याओं से बचा जा सकता है। वहीं, डॉ प्रधान पार्थ सारथी का कहना है कि दो फैक्टर है- एक वेदर कंडीशन और इसके कारण उत्पन्न एटमोसफेरिक कंडीशन। इसमें मानवीय हस्तक्षेप की बहुत कम गुंजाइश है। लेकिन अपने स्तर पर प्रदूषण को न बढ़ाया जाए, यह हर किसी का दायित्व होना चाहिए।

सुबह और रात में ज्यादा असर
स्मॉग का असर सबसे अधिक दो समयावधि में देखा जाता है। एक अर्ली मार्निंग और दूसरा देर रात। इन दोनों ही समयावधि में एक बात कॉमन है.- स्मॉग का स्तर बढ़ा होता है। हालांकि रात में के स्माग में सुबह से शाम तक प्रदूषित तत्वों के जमा होने का असर अधिक होता है। जबकि दूसरी ओर, अर्ली मार्निंग में तापमान के गिरने का। इसके अलावा, गंगा रीजन में आने वाले अधिकांश शहरों में यह स्थिति व्यापक रूप से दिख रही है। इसमें पटना समेत प्रयागराज, वाराणसी, भागलपुर, कानपुर आदि शहर शामिल हैं।

रात 9 बजे पटना की एक्यूआई
- राजवंशी नगर - 328 वेरी पूअर
- समनपुरा - 349 वेरी पूअर
- मुरादपुर - 220 वेरी पूअर
- डीआरएम ऑफिस, दानापुर 341 वेरी पूअर
- गवर्मेंट हाई स्कूल पटना सिटी 173 - माडरेट