पटना ब्यूरो कला संस्कृति एवं युवा विभाग भारत सरकार एवं बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित प्रांगण, पटना की प्रस्तुति पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव के अंतिम दिन पंचासुर, गुवाहाटी
महानायक लक्षित और दूसरी प्रस्तुति इंस्टिट्यूट ऑफ फैक्चुअल थियेटर आर्ट्स की ओर से डायलिया का मंचन किया गया। दर्शकों से भरा कालिदास रंगालय के सभागार के दर्शकों ने दोनों नाटकों की खूब तारीफ की। पढि़ए रिपोर्ट
-लक्षित बोरफूकन की वीरता की कहानी आज भी लोग कहते हैं।
प्रोबिन कुमार सैकिया निर्देशित नाटक महानायक लक्षित में असम के मध्यकालीन इतिहास के प्रमुख और महत्वपूर्ण योद्धा हैैं-लक्षित बोरफूकन की वीरता, युद्ध-कौशल और रणनीतियों के चर्चे को कलाकारों ने प्रस्तुत किया। आज भी असम की वाचिक परम्परा में गौरव गाथा की तरह गाये जाते हैं। इसके अलावा वे आमजन के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के चेहरे के तौर पर भी याद किये जाते हैं। सतरहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुए सराईघाट और अलाबोई के युद्ध में उनके द्वारा प्रदर्शित किये गए साहस, हुनर और कौशल के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर तैरते हैं। वे असम के अहोम राजवंश के सेनापति थे और इन युद्धों में नेतृत्व इन्हीं के हाथ में था, जिसमें अहोम राजवंश को जीत मिली थी। इन युद्धों में मुगलों की हार हुई थी और उनके विस्तारवादी अभियान को ब्रेक लगी थी। सराईघाट का युद्ध गुगलों द्वारा लड़ा गया अन्तिम युद्ध भी माना जाता है। चुनौतियों का साहसपूर्वक सामना करने के दिन के तौर पर लक्षित बोरफूकन को आज भी बेहद आदर के साथ याद किया जाता है। इस कहानी को कलाकारों ने सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया।
मंच पर
सुरूज कुमार- कलिता
सौमर ज्योति- बोरा
अभिजीत- चागमाई
देबोजीत- डेका
अंगशु प्रतिम- सैकिया
बोइदुर्व्या- चांगमाई
मयूर- फुकन
नियार- सैकिया
कनिका- इगती
दीपान्दिता तालुकदार- प्रीती ढोले
-अराकान का आतिथ्य स्वीकार किया
देवाशीष दत्ता द्वारा निर्देशित और
इंस्टिट्यूट ऑफ फैक्चुअल थियेटर आर्ट्स की ओर से मंचित नाटक डायलिया रवीन्द्रनाथ टैगोर के मूल कहानी से लिया गया है। नाटक में दिखाया गया कि औरंगजेब से हार के डर से शाह सुजा ने अपनी तीन बेटियों के साथ अराकान का आतिथ्य स्वीकार किया। अराकान के राजा चाहते हैं कि उनके राजकुमार शाह सुजा की खूबसूरत बेटियों से शादी करें। पर शाह सूजा इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। अराकान राजन के आदेश पर, शाह सूजा को घोखे से एक नाव में बिठाया गया और नदी में डुबोकर उसकी हत्या करने की कोशिश की गई। शाह सूजा ने अपनी छोटी बेटी अभीना नदी में स्वयं को फेंक दिया और बड़ी बेटी ने आत्महत्या कर ली। शाह सूजा अपने एक मरोसेमंद कर्मचारी रहमत अली जुलिखा के साथ नदी तैरकर बच निकला। नदी में फेंकी गई अमीना किसी तरह बच गई। वह जेल की कोठरी में पली-बढ़ी। अराकान राजा की मृत्यु के बाद राजकुमार का राज्याभिषेक हुआ। अमीना को बन्दीगृह में पाकर मेजो जुलिखा उसके पास आई। जुलिखा के हृदय में प्रतिशोध की अग्नि घधक रही है। यह दिल्ली की गद्दी हथियाना चाहता था और उधर अमीना बूढ़े धीबर की झोपड़ी के प्राकृतिक वातावरण में खुश है। डालिया नाम का सहज युवा उस कुटिया में खुशी लाता है.घर के कामकाज में मददगार डालिया धीरे-धीरे अनीना को पसंद आने लगती है। इस बीच, रहमत अली अराकान शाही दरबार में एक अलग व्यक्ति के अधीन काम करता है। पता चलता है कि शाह शुजा की बेटियां मिल गई हैं। राजा उसे तुरंत महल में लाने की व्यवस्था करवाते हैं। जुलिखा रोमांचित हो गई, यही बदला लेने का मौका है। खूबसूरती से रखा गया दुल्हन की तरह सजी अमीना को हस्तनिर्मित चाकू दिया जाता है। अमीना डरते-डरते राजा के कमरे में प्रवेश करती है।
मंच पर
डालिया-देवाशीष दत्ता,
अमीना- चक्रवर्ती
धीबर- कार्तिक बेरा
कथावाचक- प्रोसेनजीत मट्टाचार्य जुलिखा-रेशमा दास
रहमत- अंजीत मजूमदा