गांगेय डॉल्फिन संरक्षण के लिए मछुआरों को बनाया जा रहा फ्रंटलाइनर

PATNA : डॉल्फिन संरक्षण के लिए लगातार सकारात्मक प्रयास हो रहे हैं। इसी कड़ी में दीदारगंज पटना सिटी स्थित सतीचौड़ा घाट पर सीधा संवाद के तहत जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें वन प्रमंडल अधिकारी, पटना रूचि सिंह ने मछुआरों के बीच इसके बचाव के उपायों के विभिन्न पहलूओं की चर्चा की। मछुआरों को बताया कि अगर डॉल्फिन को बचाएंगे तो आपके पास देश-विदेश के विभिन्न भागों से पर्यटक आएंगे और आपके नाव के सहारे डॉल्फिन को देखेंगे। इससे आर्थिक लाभ होगा। यह डॉल्फिन संरक्षण में महत्वपूर्ण कदम होगा। इस जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसन्धान केंद्र, पटना की ओर से किया गया था। इसमें लगभग 120 मछुआरों और उनके परिवार के लोगों ने भाग लिया।

पहले हत्या होती थी, आज संरक्षण

कार्यक्रम के चीफ गेस्ट (वैज्ञानिक ई) जेड.एस.आई। (भारत सरकार) तथा राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसन्धान केंद्र, पटना, बिहार के अंतरिम निदेशक, डॉ। गोपाल शर्मा ने मछुआरों से पहले और वर्तमान के परिदृश्य के बारे में बताया। कहा, इस घाट पर कई वर्षो पहले मैं आया था तब डॉल्फिन की हत्या हुई थी, लेकिन आज इसके संरक्षण की बात हो रही है। उन्होंने बताया कि यहां जो डॉल्फिन मिल रहा है, वह केवल भारत-बांग्लादेश एवं नेपाल की नदियों में ही मिलते हैं। यह राष्ट्रीय जलीय जंतु है और इस नदी के लिए धरोहर है। इसके मांस का प्रयोग, तेल के लिए शिकार वन्यजीव अधिनियम 1972 के अधीन दंडनीय अपराध है। यदि करेंटी जाल में डॉल्फिन गलती से फंस जाती है तो उसे तुरंत गंगा के मुख्य धार में छोड़ दें।

संरक्षण को मिलेगा बल

कार्यक्रम के उपरांत डॉ गोपाल शर्मा ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि मछुआरे डॉल्फिन के आस-पास रहने वाले समूह है। यदि इन्हें जागरूक किया जाए और डॉल्फिन के बहाने नदी क्षेत्र पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए तो काफी हद तक डॉल्फिन संरक्षण कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी। जहां एक ओर इन्हें नाव पर पर्यटकों को लेकर डॉल्फिन दिखाने से आमदनी बढेगा तो दूसरी ओर संरक्षण का काम भी सकारात्मक रूप से आगे बढे़्रगा। जब डॉल्फिन दिखाने से इन्हें आमदनी होगी तो स्वभाविक तौर पर वे इसके संरक्षण के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

चट जाल का प्रयोग नुकसानदेह

पटना जिला के मत्स्य विकास पदाधिकारी पटना ब्रज किशोर सिंह ने कहा कि चट जाल का प्रयोग डॉल्फिन के लिए नुकसानदेह है। इसके प्रति यदि आप जागरूक हैं तो दूसरे मछुआरों को भी बताए। प्राय: लोग इस जाल का प्रयोग कर मछली छानते हैं। उन्होंने मछुआरों को आर्थिक रूप से कई लाभकारी स्कीम की भी जानकारी दी। इससे पहले सभी गेस्ट का स्वागत डॉ। जीबी चांद (एसोसिएट प्रोफेसर पटना विश्वविद्यालय) ने किया। उन्होंने सभी मछुआरा भाइयों,बहनों की उपस्थिति पर खुशी व्यक्त किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ। अनुपमा कुमारी (एसोसिएट प्रोफेसर, जंतु विज्ञान विभाग, पटना विश्वविद्यालय) ने किया।