- लालू पुत्र तेजप्रताप को फिर से शपथ दिलायी गयी

-राहुल के आने के बाद ही शपथ लिया अशोक चौधरी ने

-श्याम रजक नहीं आए

PATNA: फिर से एक बार नीतीशे कुमार। कुमार ने पांचवीं बार बिहार के सीएम पथ की शपथ ली। ऐतिहासिक मैदान में कुमार को राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। नीतीश कुमार ने ख्8 नेताओं के साथ मंत्री पद की शपथ ली। जेडीयू और आरजेडी ने आपस में क्ख्-क्ख् मंत्री पद बांटे थे, जबकि कांग्रेस को चार मंत्री पद दिए गए थे। सबसे खास बात ये कि लालू-राबड़ी के दोनों बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप के शपथ ग्रहण के साथ ही लालू परिवार की सत्ता में वापसी हो गई। नीतीश कुमार के तुरंत बाद लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने मंत्री पद की शपथ ली और उसके बाद तेजप्रताप ने।

अपेक्षित की जगह उपेक्षित

तेज प्रताप ने शपथ लेते समय अपेक्षित शब्द की जगह उपेक्षित उच्चारण कर दिया। इसकी नोटिस राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने ली और टोका। नतीजा दोबारा शपथ लेनी पड़ी तेजप्रताप ने।

सबसे अंत में अशोक चौैधरी

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने इसलिए सबसे अंत में शपथ ली कि वे राहुल गांधी को रिसीव करने एयरपोर्ट चले गये थे। बीच में एक बार उनका नाम पुकारा भी गया लेकिन फिर हुआ कि वे अभी उपस्थित नहीं हैं।

नीतीश पुत्र निशांत मिले लालू परिवार से

इस मौके पर नीतीश कुमार के पुत्र निशांत भी पहुंचे और लाल यादव की बेटियों और दामाद से मुलाकात भी की। लेकिन वे अपने मित्रों के साथ लालू परिवार से अलग बैठे। कभी लालू प्रसाद के चहेते तो कभी नीतीश कुमार के चहेते नेता रहे श्याम रजक नहीं आए। वे मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज रहे। दूसरी तरफ इमामगंज से चुनाव हार चुके जेडीयू नेता उदय नारायण चौधरी आयोजन में भाग लेने पहुंचे। वे नीतीश सरकार में वर्षो तक विधानसभा अध्यक्ष रहे।

विजय चौधरी ने शपथ नहीं ली

जेडीयू नेता विजय चौधरी को मंत्री नहीं बनाया गया। उन्होंने शपथ नहीं ली। वे अतिथियों वाले स्टेज पर बैठे। उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाएगा।

केजरीवाल से खूब हाथ मिलाया लालू ने

मंच पर लालू प्रसाद ने कई लोगों से खूब हाथ मिलाए। लालू-नीतीश भी गले मिले। लेकिन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का हाथ पकड़कर खूब मिलाया लालू ने। लालू प्रसाद ने उनका हाथ ऊपर उठा कर जनता को दिखाया की देख लीजिए। .यहां याद दिला दें कि केजरीवाल, लालू को चारा घोटाले का सजायाफ्ता होने की वजह से नीतीश के चुनाव प्रचार में आने से किनारा कर लिया था। लालू ने राहुल गांधी से भी खूब हाथ मिलाया। इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी चीफ शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकाअर्जुन खड़गे मौजूद रहे। पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपना प्रतिनिधि वेंकैया नायडू के रूप में भेजा। कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री ने आयोजन में भाग लिया। राहुल गांधी, शीला दीक्षित, ममता बनर्जी, बाबू लाल मरांडी, खड़गे, शरद पवार, तारिक अनवर, वीरभद्र सिंह, खड़गे, केसी त्यागी, शरद यादव, डी रजा सीताराम येचुरी, प्रफुल्ल पटेल शामिल हुए। यूपी के सीएम अखिलेश यादव को आना था पर वे नहीं आए। यूपी मंत्रिमडल से सदस्य शिवपाल सिंह यादव आए। डीएमके प्रमुख करुणानिधी के बेटे स्टालिन ने शिरकत की।

इन मंत्रियों की खासियत जानें

तेजस्वी यादव

तेजस्वी लालू-राबड़ी के छोटे पुत्र हैं। लालू की इच्छा है कि वे विरासत संभालें। तेजस्वी ने नीतीश कुमार के तुरंत बाद शपथ ली। इन्हें दूसरे नंबर का मंत्री पद मिला है। उप मुख्यमंत्री बनाए होंगे।

तेज प्रताप यादव

लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप, छोटे बेटे की तरह ही पहली बार विधायक बने हैं। महुआ से इन्होंने जीत हासिल की है।

अब्दुल बारी सिद्दिकी

अलीनगर से चुनाव जीते हैं। सिद्दिकी क्99भ्, ख्000, ख्00भ्, ख्0क्0 और ख्0क्भ् से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। लालू राज में मंत्री रहे और जब आरजेडी विपक्ष में आया तो नेता प्रतिपक्ष की बड़ी भूमिका में आए। लालू के जेल जाने के दिनों में जिन नेताओं ने वफादारी दिखायी और साथ रहे उनमें सिद्दीकी का नाम भी आता है।

विजेंद्र प्रसाद यादव

बिहार सरकार के कई बड़े विभागों के मंत्री रह चुके हैं। वित्त मंत्री भी रहे। विजेंद्र क्990 और क्99भ् में राजद से विधायक रहे। ख्000, ख्00भ्, ख्0क्0, ख्0क्भ् का चुनाव सुपौल से जदयू के टिकट पर जीता है। संसदीय मामलों के अच्छे जानकार नेता के तौर पर पहचाने जाते हैं।

ललन सिंह

राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह कभी जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष भी हुआ करते थे। नीतीश कुमार से मनमुटाव हुआ तो वे अगल हो गए। लेकिन फिर नीतीश कुमार के साथ हो गए। मुंगेर से लोकसभा चुनाव में हार के बाद राज्यपाल कोटे से विधान परिषद् गए और मंत्री बने।

श्रवण कुमार

क्99भ्, ख्000 में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। इसलिए पुराने दिनों से नीतीश कुमार के साथ रहे। मंत्री भी बनाए गए। जदयू के टिकट पर ख्00भ्, ख्0क्0 और ख्0क्भ् में विधानसभा का चुनाव जीते।

जय कुमार सिंह

वे ख्000 में राजनीति में आए। दिनारा से ख्00भ्, ख्0क्0 और ख्0क्भ् में जदयू के टिकट पर चुनाव जीता है। नीतीश सरकार के चहेते मंत्री भी रहे।

आलोक कुमार मेहता

वे दिग्गज समाजवादी नेता और पूर्व मंत्री तुलसीदास मेहता के पुत्र हैं। आलोक समस्तीपुर से पूर्व सांसद रह चुके हैं। युवा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। क्षेत्र में अच्छी पकड़ है।

चंद्रिका राय

पहले भी मंत्री रह चुके हैं। वह राजद के बड़े नेताओं में सारण जिले में इनकी गिनती इसलिए भी होती है कि क्षेत्र में अच्छी पकड़ है।

अवधेश कुमार सिंह

पुराने कांग्रेसी नेता हैं और दोबारा विधायक बने हैं। इस बार वजीरगंज से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता है। ख्0क्0 में चुनाव हार गए थे।

कृष्णनंदन वर्मा

बिहार में कई नेताओं की जातीय पहचान भी है। कृष्णनंदन वर्मा की पहचान कोयरी जाति के दमदार नेता के रूप में होती है। उन्होंने घोसी से चुनाव जीता है। घोसी सीट पर फ्0 सालों से जगदीश शर्मा के परिवार का कब्जा था। यहां जगदीश वर्मा फिर उनकी पत्‍‌नी और बेटे राहुल वर्मा विधायक रह चुके हैं। इस परिवार का वर्चस्व तोड़ना चुनौती हो गई थी।

महेश्वर हजारी

इन्होंने ख्0क्भ् विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा और कल्याणपुर से रामविलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज को मात दी। महेश्वर ख्009 में समस्तीपुर से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।

अब्दुल जलील मस्तान

कांग्रेस के पुराने नेताओं में गिने जाते हैं। कई बार विधान सभा चुनाव जीत चुके हैं। क्990 में पहली बार विधायक बने और ख्000, ख्00भ् और ख्0क्भ् में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। इस बार के विधान सभा चुनाव में अमनौर से चुनाव हासिल की है।

राम विचार राय

राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। मुजफ्फरपुर क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। यादव समाज के कुछ बड़े नेता में राम विचार राय भी गिने जाते हैं।

शिवचन्द्र राम

दो बार विधायक रहे हैं। युवा राजद के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।

मदन मोहन झा

बिहार कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिनती होती रही है। वे विधान परिषद के मेंबर हैं। राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं।

शैलेश कुमार

मुंगेर जिले की जमालपुर सीट से विधायक हैं। समता पार्टी के समय से नीतीश कुमार के साथ रहे हैं। जब लालू सरकार के दबंग मंत्री उपेन्द्र प्रसाद वर्मा को हराकर ये विधान सभा आए थे तभी मंत्री बनने की चर्चा थी, लेकिन बन नहीं पाए थे। अब मंत्री हुए। उनके पिता जी सुरेश कुमार सिंह भी जमालपुर से विधायक रहे थे। क्97क् में सुरेश सिंह जनसंघ से विधायक बने थे। बाद में वे जेपी आंदोलन में मीसा में गिरफ्तार हुए। क्977 में वे पुन: जनता पार्टी से विधायक बने, इसलिए शैलेष कुमार को राजनीति विरासत में मिली है।

संतोष निराला

राजपुर सुरक्षित सीट से दोबारा जदयू के टिकट पर चुनाव जीत कर आए। क्99क् में संतोष राजनीति में आए और ख्00भ् में बीएसपी के जिलाअध्यक्ष, ख्007 में महासचिव और ख्0क्0 में पहली बार विधायक बने।

मुनेश्वर चौधरी

सारण जिले के गरखा से चुनाव जीता है। मुनेश्वर चौधरी उम्र म्0 साल हो चुकी है। आरजेडी के पुराने नेता रहे हैं।

डॉ अब्दुल गफ्फूर

डॉ अब्दुल गफ्फूर सहरसा जिले के महिषी से विधायक बने। राजद के पुराने नेताओं में गिने जाते रहे हैं। सहरसा जिला क्षेत्र में खासी पकड़ के लिए भी जाने जाते हैं।

डॉ। चंद्रशेखर

चंद्रशेखर कोशी क्षेत्र में पप्पू यादव के विरोधी के तौर पर मशहूर हैं। पप्पू यादव ने जब लालू प्रसाद को चुनौती देकर ललकारा तो पप्पू को राजनीतिक रूप से मजा चखाने का काम लालू प्रसाद ने इन्हें सौंपा।

अनिता देवी

रोहतास जिले के नोखा से विधान सभा चुनाव जीत कर आई हैं। राजद की महिला नेताओं में प्रमुख रूप से गिनी जाती हैं।

विजय प्रकाश

विजय प्रकाश, लालू के चहेते एमपी जयप्रकाश नारायण यादव के भाई हैं। विजय ने इस बार हम नेता नरेंद्र सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह को विधान सभा चुनाव में मात दी है।

मदन सहनी

गौड़ाबौराम से जेडीयू के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीता है। बहादुरपुर से पहली बार ख्0क्0 में भी जदयू के टिकट पर जीत चुके हैं।

कपिल देव कामत

बाबूबरही से दो बार विधान सभा चुनाव जीत चुके हैं। इस बार जदयू के टिकट पर चुनाव जीता। पहली बार ख्00भ् में जदयू के टिकट पर विधायक बने थे।

मंजू वर्मा

पहली बार ये ख्0क्0 में विधायक बनी थीं। इस बार वे चेरिया बरियापुर से जदयू के टिकट पर चुनाव जीती हैं। ससुर सुखदेव महतो भाकपा से चुनाव जीत चुके हैं 80 के दौर में जो बाद के दिनों में कांग्रेस में चले गए थे।

अशोक चौधरी

विधान परिषद के सदस्य हैं और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। कांगे्रस की राजनीतिक स्थिति प्रदेश में दुरूस्त करने की रणनीति में वे सफल रहे। वे बरबीघा से विधायक रह चुके हैं। बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके पिता महावीर चौधरी नौ बार विधायक रहे और मंत्री भी बने।

खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद

सिकटा से भाजपा के दिलीप वर्मा को इस बार के विधान सभा चुना में मात दी। इनकी बड़ी खासियत ये कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद दोनों के ही करीब माने जाते हैं।