पटना (ब्यूरो)। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बसें पब्लिक की सुविधा के लिए हर रूट पर मुस्तैद हैं। ये प्राइवेट बसों की तुलना में सस्ती और सुरक्षित भी मानी जाती हैं। इतना ही नहीं कहा जाता है कि इन बसों से यात्रा करने वाले बीमित भी होते हैं, लेकिन अगर इन बसों का ही बीमा और फिटनेस फेल हो तो क्या होगा। वैसे तो परिवहन निगम की बसें चाक-चौबंद ही होती हैं, लेकिन इन दिनों कई बसें मोटर व्हीकल एक्ट के मानकों पर खरी नहीं उतर रही हैं। प्राइवेट बसों के फिटनेस फेल की शिकायत तो अक्सर मिलती है पर आजकल सरकारी बसों की भी शिकायतें मिलने लगीं है। हालांकि संबंधित विभाग के अधिकारियों की मानें तो कोरोना काल में कुछ काम रुकने से बसों का फिटनेस और बीमा संबंधी काम प्रभावित हुआ है। लेकिन, न्यू नॉर्मल शुरू हुए करीब तीन माह से उपर हो गए फिर भी अब तक काम पेंडिंग होना सवाल खड़े करता है। परिवहन निगम की बसों में से कई बसों में किसी के परमिट फेल तो किसी की वैधता खत्म तो कोई बिना बीमा और प्रदूषण प्रमाण पत्र के सड़कों पर दौड़ रही है। ये हम नहीं परिवहन विभाग द्वारा जारी एम परिवहन एप बता रहा है। ये बात तब सामने आई जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने राज्य पथ परिवहन निगम के कुछ बसों की पड़ताल की। पढि़ए विस्तृत रिपोर्ट


बिना बीमा के चल रहा है बस
प्रदूषण, वैधता, बीमा और परमिट की पड़ताल करने के लिए बांकीपुर बस स्टैंड दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के टीम पहुंची। शहर से दूसरे जिले जाने वाली बस जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर बीआर 21 जी 2727 है, की एम परिवहन एप के माध्यम से पड़ताल की तो पता चला कि बस का बीमा 29 सितंबर 2020 तक ही मान्य था। पिछले 13 माह से बस बिना बीमा के ही चल रहा है। इसके बाद हमारी टीम ने बस स्टैंड में खड़ी डीजल द्वारा चलित एक बीआर 06 पीडी 5451 के फिटनेस और वैधता की जांच एप से की। पता चला कि इस बस की बीमा वैधता 3 नवंबर 2021 को ही समाप्त हुई है। बस का प्रदूषण प्रमाण पत्र भी 8 जून 2021 तक मान्य था। लेकिन पिछले चार माह से बिना रोक टोक के ये बस सड़कों पर चल रही है।
दो साल से परमिट फेल
यही हाल एक और बस (रजिस्ट्रेशन नंबर बीआर 21जी 2727) का था। इस बस का परमिट पिछले 2 साल से खत्म है। बावजूद बस का संचालन हो रहा है। नाम न छापने की शर्त पर बांकीपुर बस स्टैंड के कंडक्टर ने बताया कि विभाग को जानकारी दी गई है मगर कोई एक्शन नहीं हुआ है। हम लोग तो कर्मचारी हैं जो आदेश मिलता है वही करते हैं। इस तरह अगर सरकारी बस बिना परमिट के संचालित होगा तो प्राइवेट का क्या होगा।


प्रशासन कर रहा है अनदेखी
शहर में चलने वाली प्राइवेट वाहन स्वामियों से परिवहन विभाग के द्वारा प्रतिदिन हजारों रुपए जुर्माने के तौर पर वसूले जा रहे हैं। मगर विभाग के बसों को न तो चौक चौराहों पर कोई रोकने वाला है न ही महाअभियान के दौरान चेकिंग की जाती है। जिस वजह से कई बस परमिट, प्रदूषण, और इंश्योरेंस में फेल होने के बाद भी सड़क पर दौड़ रही हैं।

मैं इसकी जांच करा लेता हूं। अगर बस का बीमा इंश्योरेंस फेल है तो निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी। नियम सबके लिए बराबर है।
- प्रकाश, डीटीओ