- एग्जाम के बाद रिजल्ट के लिए मात्र एक माह में ही देना होगा रिजल्ट

- टीचर्स को भी सीबीसीएस के पहलूओं से किया जा रहा है अपडेट

PATNA :

पूरे बिहार के यूनिवर्सिटीज में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) को अगले सत्र से लागू करने की कोशिश है। लेकिन यूनिवर्सिटीज के हालात देख इसे इस सत्र में लागू हो पाना फिलहाल टेढ़ी खीर लग रहा है। राजभवन के आदेश के बाद भी इसे लागू करने को लेकर यूनिवर्सिटी में कोई विशेष पहल नहीं दिख रही है।

बता दें कि सीबीसीएस के लागू होते ही परीक्षा कैलेंडर बदल जाएगा और बहुत पहले की तुलना में कम समय में ही रिजल्ट का प्रकाशन कॉलेज के शिक्षकों के समक्ष चुनौती होगी। हालांकि अभी से ही शिक्षकों को इसके लागू करने के लिए हर जरूरी पहलूओं के बारे में बिहार के विभिन्न यूनिवर्सिटीज में प्रशिक्षित किया जा रहा है। लेकिन समस्या यह है कि इसके लिए जरूरी शिक्षकों की संख्या के मुकाबले बहुत कम शिक्षक ही कार्यरत हैं। यदि पूरे बिहार की बात करें तो यहां करीब 40 प्रतिशत के स्ट्रेंथ पर ही शिक्षक कार्यरत हैं। यह आलम तब है जब सालों बाद बीपीएससी के द्वारा यहां के यूनिवर्सिटीज में बड़ी संख्या में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली की गई थी।

परीक्षा कैलेंडर बदल जाएगा

सीबीसीएस के लागू होने से परीक्षा कैलेंडर बदल जाएगा। इसमें क्लास करने के दिन निर्धारित होंगे और परीक्षा का भी समय तय होगा। सेमेस्टर प्लान के मुताबिक इसमें पहले सेमेस्टर की परीक्षा नवंबर के लास्ट वीक से दिसंबर के पहले हफ्ते में जबकि दूसरे सेमेस्टर में परीक्षा अप्रैल माह के अंत तक हो सकती है। जहां पहले यह कोशिश होती थी कि सत्र समय पर रखना है तो परीक्षा के समय में फेरबदल होता था। इससे स्टूडेंट्स पर दबाव बढ़ जाता था। लेकिन अब नई व्यवस्था में यह समस्या नहीं रहेगी।

हर दिन का होगा इवैलुएशन

सीबीसीएस के लागू होने से यह तय हो जाएगा कि एक सत्र में कम से कम 180 दिन क्लासेज होंगी। यदि इस दौरान शिक्षक की कमी हो या वे अब्सेंट हो या कोर्स की पढ़ाई में अधिक समय लगे तो यह आगे की पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए कॉलेज में हर दिन, हर विषय के अपडेशन को लेकर अलर्ट रहना होगा।

सिलेबस हो रहे मोडिफाई

सीबीसीएस को लागू करने की तैयारी में पटना यूनिवर्सिटी को नोडल यूनिवर्सिटी बनाया गया है। इसके तहत राजभवन ने जिम्मेदारी दी है कि बिहार के सभी यूनिवर्सिटी में सोशल साइंस और साइंस के डीन से विचार-विमर्श करके सिलेबस को मोडिफाई किया जा रहा है। इस संबंध में अंतिम रूप से कोर्स फाइनालाइज करने के लिए बैठक पटना में होगी।

पटना यूनिवर्सिटी के डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ एनके झा ने बताया कि विषय विशेषज्ञों को पहले ही इस संबंध में अपनी राय देने और इसे नई व्यवस्था के अनुरुप बनाने का निर्देश दिया गया है। राज्यपाल सह कुलाधिपति की अध्यक्षता में यह बैठक पटना में होगी। इसे सत्र 2020-21 से लागू किया जाएगा।

नई व्यवस्था से पहले कमी दूर हो

पटना यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ रणधीर कुमार सिंह ने बताया कि यदि केवल पटना यूनिवर्सिटी की बात करें तो यहां करीब 800 सैंक्संड पद हैं शिक्षकों के लेकिन यहां करीब सवा 300 शिक्षक कार्यरत हैं। एक शिक्षक पर कम से कम तीन से चार शिक्षकों के काम का लोड है। ऐसे में बहुत ही कम समय में रिजल्ट का प्रकाशन और क्लासेज को लेकर समस्या हो सकती है। इसलिए सीबीसीएस के लागू होने से पहले शिक्षकों की कमी दूर होनी चाहिए।

शिक्षकों की कमी की समस्या को हल किये बिना सीबीसीएस की नई व्यवस्था को लागू किया जा रहा है। शिक्षकों की कमी की मांग को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।

- डॉ रणधीर कुमार सिंह अध्यक्ष पूटा

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