PATNA :

वासंतिक नवरात्र के सातवें दिन कल सोमवार को माता के उपासक ने देवी कालरात्रि की पूजा विधि-विधान से कर माता का पट खोला। वहीं नवरात्र के आठवें दिन मंगलवार को सर्वसिद्धि को देने वाली माता महागौरी की पूजा होगी। आदिशक्ति माता दुर्गा का अष्टम दिव्य स्वरूप महागौरी हैं। महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।

मान्यता है कि अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन-ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक, मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी के नाम से जाना जाता है।

महागौरी माता का स्वरूप

ज्योतिषाचार्यो की मानें तो माता दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी महागौरी है। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है। मां गौरी का ये रूप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन वृष है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।

पूजा का आध्यात्मिक महत्व

चैत्र नवरात्रि के अष्टम दिवस में देवी महागौरी की पूजा करने से सभी प्रकार पाप नष्ट हो जाते हैं जिससे मन और शरीर शुद्ध एवं पवित्र हो जाता है। देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है। इनकी पूजा से अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट होते हैं। जगत जननी के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा, एकाग्रता में वृद्धि तथा सर्व कष्ट से मुक्ति मिलती है। महागौरी कि पूजा से शीघ्र विवाह का वरदान तथा वैवाहिक जीवन भी मधुर हो जाता है। मान्यता है कि माता सीता ने भगवान श्रीराम की प्राप्ति के लिए इसी देवी कि आराधना की थी। ज्योतिष शास्त्र में इनका संबंध शुक्र ग्रह से माना गया है।

दूर होते भय, निराशा व चिंता

ज्योतिषी झा के मुताबिक माता जगदम्बा के आठवें रूप महागौरी की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। इस देवी के स्मरण व पूजन मात्र से श्रद्धालुओं को व्यापार, दांपत्य जीवन, सुख-समृद्धि, धन आदि में वृद्धि होती है। ऐसे लोग जो अभिनय, गायन, नृत्य आदि के क्षेत्र में हैं उन्हें देवी की पूजा से विशेष सफलता मिलती है। यह माना जाता है कि उनकी पूजा से त्वचा संबंधी रोगों का भी निवारण होता है।