PATNA: तख्तश्री हरिमंदिर पटना साहिब में सिखों ने शौर्य और वीरता का प्रदर्शन करते हुए मंगलवार को उमंग और उत्साह के साथ होला-मोहल्ला पर्व मनाया। सिखों ने परंपरागत ढंग से पंच-प्यारों की अगुवाई में मंगलवार की सुबह दस बजे तख्तश्री हरिमंदिर पटना साहिब से नगर-कीर्तन निकाला। होला-मोहल्ला में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, यूपी, मुंबई व अन्य स्थानों से आए सिख जत्था भी शामिल हुए। वरीय मीत ग्रंथी ज्ञानी बलदेव सिंह के अरदास व शस्त्र दर्शन कराने के बाद नगर-कीर्तन निकला। कथावाचक ज्ञानी दलजीत सिंह ने बताया कि वर्ष 1701 को आनंदपुर साहेब में दशमेश गुरु गो¨वद सिंह ने आदेश दिया था कि अब से सिख होली नहीं होला मनाएंगे। दशमेश गुरु ने रंग-अबीर की जगह इसे वीर सैनिकों का त्योहार बना दिया। पंच-प्यारे की अगुवाई और बैंड-बाजे के साथ तलवार, भाला व ढाल लिए सिख संगत गो¨वद सिंह घाट गई। कंगन घाट गुरुद्वारा में

बाबा गुर¨वदर सिंह ने किया स्वागत

भजन-कीर्तन-प्रवचन हुआ। भाई जगत सिंह ने भजन तथा ग्रंथी भाई कृपाल सिंह ने अरदास किया। इसके बाद नगर-कीर्तन झाऊगंज गली मार्ग होते अशोक राजपथ से चौक होते मंगल तालाब घूमते हुए नगर-कीर्तन बाल लीला गुरुद्वारा पहुंची। जहां हजूरी रागी जत्था रागी क¨वद्र सिंह के कीर्तन से संगत निहाल हुई। कथावाचक ज्ञानी सुखदेव सिंह व ज्ञानी दलजीत सिंह ने होला-मोहल्ला की महत्ता पर प्रकाश डाला। बाबा गुर¨वदर सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। बाल-लीला गुरुद्वारा में विशेष लंगर में संगत ने पंगत में बैठ प्रसाद छके।