-दूसरे जगह मौत होने पर शव घर नहीं ला पर रहे रिलेटिव

PATNA: कोरोना महामारी और लॉकडाउन पारिवारिक रिश्ते निभाने में पांव की जंजीर बन गया है। इस वजह से लोग अपनों का अंतिम संस्कार तो दूर अंतिम दर्शन तक नहीं कर पा रहे हैं। कई परिजन तो पास होने के बाद भी अंतिम दर्शन तक नहीं कर पा रहे हैं तो कई लोग संक्रमित होने के डर से शव को नहीं ले जा रहे हैं। परिजनों के नहीं आने पर पुलिस-प्रशासन ऐसे लोगों का दाह संस्कार करा रहा है। परिवार का पेट पालने के लिए घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर नौकरी कर रहे कई लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई, लेकिन हालात से मजबूर उनके घरवाले अंतिम संस्कार करने के लिए उनके पास नहीं पहुंच पाए। संस्कार की विधि संपन्न करने के लिए लोग ऐसे हालात में लोग मृतक का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर हो गए हैं।

अंतिम दर्शन से वंचित

कोरोना संक्रमण को लेकर बिहार में लॉकडाउन के कारण लोगों को कहीं आने-जाने के लिए गाडि़यां नहीं मिल रही हैं। इसके अलावा सरकारी उदासीनता की वजह से लोगों को जल्दी ई-पास भी नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण कई लोगों को अपनों का अंतिम दर्शन भी नसीब नहीं हो रहा है। परिजन अपनों के दाह संस्कार में भी हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। लोगों का कहना है कि कोरोना ने अंतिम समय में भी अपनों से दूर कर रहने की मजबूरी बन गई है। लोग चाहकर भी अपनों की मौत पर उनके पास नहीं जा पा रहा है। इतना ही नहीं, इलाज के दौरान भी नहीं देख पा रहे हैं।

वीडियो कॉल से दे रहे मुखाग्नि

कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने पर कई अपने भी उनके शव के पास जाने से कतरा रहे हैं। पालीगंज के रहने वाले एक व्यक्ति की मुंबई में कोरोना की वजह से मौत हो गई। लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की वजह से उनके परिवार को एक भी सदस्य वहां नहीं पहुंच पाया। वहां के रहने वाले लोगों ने उनके घर पर वीडियो कॉल की। उसके बेटे ने वीडियो कॉल से ही अपने पिता को मुखाग्नि दी। परिवार के लोगों का कहना है कि लॉकडाउन और कोरोना की वजह से असम जाने में परेशानी हो रही थी। जिसे देखते हुए वीडियो कॉल से ही मुखाग्नि की परंपरा को निभाया गया।

पुतले का दाह संस्कार

बेगूसराय के मंझौल थाना क्षेत्र के कमलापुर गांव निवासी चंद्रदेव राम की नागालैंड के दीमापुर में मौत हो गई थी। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और परिजनों के लाख गुहार के बावजूद शव लाया नहीं जा सका। जिसके बाद परिजनों ने ऑनलाइन ही चंद्रदेव राम का अंतिम दर्शन किया। जिस समय दीमापुर में दाह संस्कार किया गया, उसी वक्त गांव के पास ही गंडक नदी किनारे पुतला बनाकर परिजनों ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।

नहीं मिली सहायता

जानकारी के अनुसार, चंद्रदेव राम दीमापुर में गार्ड का काम करते थे। 3 अप्रैल को वह बीमार हुए थे। बीमारी की सूचना मिलने पर परिजनों ने उसे लाने के लिए मंझौल एसडीओ को आवेदन भी दिया, लेकिन कोई सरकारी सहायता नहीं मिल पाई। इसी बीच चंद्रदेव का निधन हो गया। फिर परिजनों ने शव लाने का प्रयास किया, लेकिन सहायता नहीं मिलने से संभव नहीं हो पाया।

शव लेने से कर दिया इनकार

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से बेगूसराय के रामजी महतो दिल्ली से पैदल अपने घर के लिए निकले गए। लेकिन वाराणसी में ही राह चलते उनकी मौत हो गई। प्रशासन ने इसकी खबर उनके घर वालों को दी, लेकिन परिवार के पास कोरोना संक्रमण के डर से परिवार ने शव लेने से इनकार कर दिया। लॉकडाउन की वजह से परिवार का एक भी सदस्य वाराणसी नहीं जा सका। वाराणसी पुलिस ने ही शव का दाह संस्कार किया। बाद में गांव में ही कुश का पुतला बनाकर हिंदू रीति रिवाज से मृतक का सांकेतिक संस्कार किया गया। परिवार में कोरोना का खौफकोरोना संक्रमण के खौफ के कारण परिजन अपनों के पास नहीं जा रहे हैं। आरा के रहने वाले दिनेश कुमार के भाई और भाभी पुणे में कोरोना संक्रमित हो गए। भाई आईसीयू में भर्ती है। भाभी भी अस्पताल में एडमिट हैं। लेकिन उनके परिवार का एक भी सदस्य कोरोना के खौफ से पुणे नहीं गया।

दनेश कुमार ने बताया कि आरा से इतनी दूर जाने में डर लग रहा है। उन्होंने बताया कि कोरोना का डर उनकी राह रोक रहा है। इसके अलावा फ्लाइट से जाने के लिए कई जटिल प्रक्रिया है। आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट आने में एक सप्ताह लग रहा है। जिसके कारण कोई भी पुणे नहीं जा सका।