आइसोलेटेड लोगों के लिए सोशल मीडिया बन रहे डिप्रेशन के कारण

<आइसोलेटेड लोगों के लिए सोशल मीडिया बन रहे डिप्रेशन के कारण

PATNA

PATNA गत साल के लॉकडाउन के बाद अभी न्यू नॉर्मल की चर्चा शुरू ही हुई थी कि कोरोना महामारी ने लोगों को एक साल बाद फिर से आपदा वाले दौर में खड़ा कर दिया है। मार्च ख्0ख्क् बीतते-बीतते दिन पर दिन लगातार कोरोना के केस बढ़ते गए। आज हालात ऐसे हो गए हैं कि सरकार से लेकर आम जन तक यह मानने पर मजबूर हो गया है कि संक्रमण इस बार पहले से भी खतरनाक तेजी से फैल रहा है। लोगों की असमय मौत हो रही है। इस बीमारी से निपटने के लिए एक बार फिर से लॉकडाउन की नौबत आ गई है। संपूर्ण देश और दुनिया में कोरोना की स्थिति के अनुसार लॉकडाउन लगाया जा रहा है। लगातार मिल रहे इस तरह की खबरों से लोग परेशान होने लगे हैं और इसका सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ रहा है।

लगातार एक ही खबर बढ़ा रहा डर

जो लोग कोविड-क्9 के शिकार हो चुके हैं वह होम आइसोलेशन में रहने पर या फिर अस्पताल में भी अच्छी स्थिति में रहने पर मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसमें ज्यादातर न्यूज कोरोना से रीलेटेड और बुरी ही हैं। लगातार बुरी खबरें बीमार को और ज्यादा बीमार बना रही हैं। कई बार यह डिप्रेशन इतना ज्यादा होता है कि इससे बाहर आने के लिए मनोचिकित्सक का भी सहारा लेना पड़ता है। पटना में भी इन दिनों तेजी से मामले बढ़ रहे हैं ऐसे में लोग अत्यधिक तनाव और डिप्रेशन का भी सामना कर रहे हैं।

दूर रहे ऐसी खबरों से

साल ख्0ख्0 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा था कि कोविड-क्9 बीमारी का शिकार हुए लोगों में से करीब फ्0 फीसदी डिप्रेशन का शिकार हुए। हालांकि इस बीमारी के बारे जितना सोचते हैं वह दीमक की तरह इंसान को उतना ही खोखला कर देती है। कोरोना महामारी का दौर पिछले साल की तुलना में और भी अधिक खतरनाक है। इस वक्त में सभी को एक-दूसरे की जरूरत है। कोशिश करें कि कोरोना की अधिक न्यूज नहीं देखें। इसे देखने से अधिक चिंता होती है।

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पटना के शास्त्रीनगर निवासी भुवनेश्वर शर्मा कुछ दिन पहले पूरी तरह से स्वस्थ थे, लेकिन पिछले एक हफ्ते से अचानक घबराहट के साथ सांस फूल रही है। किसी अंजान डर से शरीर में कमजोरी महसूस हो रही है। हालत बिगड़ने पर जब उन्होंने कोरोना का टेस्ट करवाया तो वह पॉजिटिव निकले हालांकि स्थिति ज्यादा खराब नहीं होने के कारण उन्हें होम आइसोलेशन में रहने का निर्देश दिया गया। बीमारी के साथ-साथ वह डिप्रेशन के भी शिकार हो गए। फोन के माध्यम से वह मनोचिकित्सक से परामर्श लेते हैं। शर्मा भी कोरोना वायरस के कारण अपनी सेहत को लेकर चिंतित हैं। वह बताते हैं कि एक तो परिवार जनों से दूरी हो जाती है उस पर मोबाइल इत्यादि समाचारों में भी सिर्फ कोरोना की भयावहता ही नजर आती है यह सारी चीजें परेशान करती हैं।

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बोरिंग रोड निवासी प्रमोद गुप्ता हाल ही में विदेश से यात्रा से लौटे हैं। वह कोविड संक्रमित भी थे, लेकिन अब उनकी सेहत पूरी तरह से दुरुस्त है। मगर दिल में एक अंजान सा डर बैठ गया है कि कहीं कोरोना की दूसरी स्ट्रेन का वह शिकार न हो जाएं। इस डर के कारण अधिकतर समय घर पर ही बिता रहे हैं। सामाजिक गतिविधियों से दूर रह रहे हैं। एक निजी सायकाइटरी क्लीनिक में काउंसलिंग के दौरान उनमे एंग्जाइटी की शिकायत पाई गई है।

हर रोज भ् से म् कॉल कोविड रिलेटेड

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जब इस संबंध में शहर के कई मनोवैज्ञानिकों से बातचीत की तो उन्होंने यह स्पष्ट बताया कि इन दिनों जितनी तेजी से कोरोना वायरस फैल रहा है उतनी ही तेजी से लोग भी जीवन से निराश हो रहे हैं। जिन्हें हल्का सा भी सिम्टम्स होता है। वह भी ऐसा महसूस करते हैं कि वह नहीं बचेंगे इसके अलावा होम आइसोलेशन और स्वस्थ हुए व्यक्ति भी कई तरह के डर और तनाव में जी रहे हैं। प्रतिदिन भ् से म् कॉल ऐसे आते हैं उन्हें मोटिवेट करना और डर से बाहर निकालना जरूरी होता है।

इन उपायों के साथ दूर करें डिप्रेशन

क्। किताबें- कहा जाता है खाली दिमाग शैतान का घर होता है। शैतान आपके दिमाग पर कब्जा करें आप उससे पहले दिमाग को व्यस्त रखें। महामारी के इस संकट काल में आप अलग-अलग प्रकार की बुक्स पढ़कर अपना नॉलेज बढ़ा सकते हैं। अपने आपको हमेशा व्यस्त रखें। अगर किताबें पढ़ने में रूचि नहीं हो तो आप मैग्जीन, कॉमिक्स भी पढ़ सकते हैं।

ख्। गेम्स खेलें- अक्सर वक्त मिलने पर लोग मोबाइल चलाने लगते हैं। इससे बेहतर है आप मोबाइल पर गेम्स खेल सकते हैं। गेम्स खेलने से हमेशा दिमाग हल्का रहता है। हंसी ठिठोली करते रहें।

फ्। बेब सीरिज- आज के वक्त में कई लोग बुक्स पढ़ना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में आप वेब सीरिज भी देख सकते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हर प्रकार का कंटेट उपलब्ध है। ज्ञानवर्धक कंटेट भी मौजूद है। इसलिए अपने खाली समय का सदुपयोग करते हुए वेब सीरिज भी आप देख सकते हैं।

ब्। नए टास्क बनाएं- कहते हैं जीवन में हमेशा लक्ष्य होना चाहिए। जो हर दिन आपको जगाए। इससे आप कुछ बड़ा काम करने का विचार करते हैं, पॉजिटिविटी बनी रहती है, क्रिएटिव थिकिंग बढ़ती है। इसलिए हर दिन या हर सप्ताह के अनुसार अपने काम से जुड़ें टास्क खुद को देते रहें।

भ्। मानवता- कोरोना काल में सबसे अधिक मानवता की जरूरत है। घर में रहकर भी अगर किसी को आíथक रूप से अपनी क्षमता अनुसार भी सहयोग कर सकते हैं तो जरूर करें। इससे आपके मन को जरूर शांति मिलेगी। अपने दोस्तों से बात करते रहें। अपने ऑफिस के साथियों से भी काम के अलावा बात करते रहें। समाज में सक्रिय रहें। यह सभी गतिविधियां करने से आपका दिमाग और मन शांत रहेगा।

म्। योग व्यायाम - कोरोना के सिम्टम्स होने या फिर उससे बाहर निकलने के बाद भी व्यायाम को अपनी दिनचर्या बनाएं। शहरों में नाइट कफ्र्यू की स्थिति है ऐसे में न सिर्फ खुद योग और ध्यान से खुद को शांति दे, बल्कि परिवार वालों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें जिससे अनावश्यक तनाव एवं बुरे विचार पर काबू मिलेगा और स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोरोना संबंधी समाचार और हर रोज बढ़ते मामलों को लेकर लोग हताश निराश हो रहे हैं। जिन्हें बीमारी के लक्षण नहीं हैं या कम लक्षण हैं वह भी सोच सोच कर बीमार हो रहे हैं। ऐसे लोगों को न सिर्फ प्रोत्साहित कर जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जा सकता है बल्कि उन्हें लगातार सपोर्ट की जरूरत है जिससे वह इस हताशा से बाहर निकलें।

- मनोज कुमार, सायकोलॉजिस्ट

होम आइसोलेशन के मरीजों को जितनी जरूरत दवाइयों और फिटमेंट की है उतना ही परिवार और अपनों के सहयोग का भी। फोन पर ही सही परिवार वालों को न सिर्फ उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए बल्कि उनमें जीवन जीने की और जल्दी ठीक होने की इच्छा भी उत्पन्न करानी चाहिए।

- डॉ। बिंदा सिंह, क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट