पटना(ब्यूरो)। संजय गांधी जैविक उद्यान में अंतराष्ट्रीय स्तर का घडिय़ाल इंक्लोजर दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इंक्लोजर में एक बड़ा पांड है। इसमें घडिय़ाल, इसके चारो तरफ रेत, पिछले हिस्से में झरना और अगले हिस्से में ग्लास लगाया गया है। इससे दर्शक नजदीक से घडिय़ाल देखने का आनंद उठा रहे हैं। यह उद्यान के गेट संख्या दो के पास मछली केज के पास स्थित है।

घडिय़ालों की संख्या हुई 30

संजय गांधी जैविक उद्यान में घडिय़ालों की संख्या 50 से अधिक हो गई है। इस साल भी घडिय़ालों ने अंडे दिये है जिससे बच्चे बाहर आएंगे। पिछले वर्ष यहां घडिय़ाल के 25 बच्चों का जन्म हुआ था। इन्हें अलग रखा गया है। घडिय़ालों की औसतन उम्र 50 वर्ष होती है। उद्यान में घडिय़ालों का सफल प्रजनन वर्ष 2002 से हो रहा है। अब प्रजनन योग्य अधिवास उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके लिए मार्च माह में घडिय़ाल केज में मिट्टी की खुदाई करा दी जाती है। इसमें ये अंडे देते हैं। अंडे से 90 दिनों के बाद बच्चे निकलते हैं। उद्यान में एक दर्जन वयस्क घडिय़ाल हैं।

गंडक नदी में छोड़े जा चुके हैं 30 घडिय़ाल

संजय गांधी जैविक उद्यान से दो चरणों में 30 घडिय़ालों को गंडक नदी में छोड़ा जा चुका है। घडिय़ालों को केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण से अनुमति लेने के बाद ही नदी में छोड़ा जा सकता है।