कहीं और नहीं मिलेगा
कस्टम शॉप का बोर्ड लगाए एक दुकान में गए। वहां रीबोक का एक जूता पसंद किया, जिस पर 3695 रुपए का टैग लगा था। दुकानदार ने इसकी कीमत 1800 रुपए बताई। हमने पूछा यह जूता रीबॉक के शोरूम में कितने में मिलेगा? उसका जवाब था, ऐसा जूता आपको कहीं और नहीं मिलेगा। हमने पूछा, क्यों? दुकानदार ने बताया, दरअसल ये सारे जूते कस्टम वाले पकड़ते हैं। इंडिया में इसकी मार्केटिंग नहीं होती है। यहां जितने भी प्रोडक्ट्स हैं, वह कहीं और नहीं मिलेगा। इसके बाद हमने उस दुकान के एक सेल्समैन को पटाया। उसने जो बताया, वह तो हैरत में डालने वाला है। सेल्समैन ने बताया अरे, सर आप नहीं जानते। यहां कोई कस्टम का माल नहीं आता। सारा माल दिल्ली से आता है। सब डुप्लीकेट है। हमलोग तो खुद भी यहां से कुछ नहीं लेते हैं।

किम ने किया था भंडाफोड़
इस तरह से शहर में कस्टम दुकान के नाम पर लूट मची है। दुकानदार कस्टम की आड़ में डुप्लीकेट प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं। इस बात की जानकारी कस्टमर्स को नहीं होती है। इसका भंडाफोड़ तब हुआ, जब तत्कालीन सिटी एसपी किम ने नाला रोड की एक कस्टम दुकान में छापेमारी की थी। यहां सारे प्रोडक्ट्स डुप्लीकेट निकले। इस छापेमारी के बाद ऐसे दुकानदारों में हड़कंप मच गया है। डर के मारे राजेन्द्र नगर और मौर्यालोक की कस्टम दुकानें बंद रहीं, हालांकि कंकड़बाग, अशोक राजपथ सहित अन्य दुकानें खुली रहीं।

दर्जन भर से अधिक  दुकानें
शहर में कस्टम की दर्जन भर से अधिक दुकानें हैं। यह जरूरी नहीं है कि जब्त सामान सिर्फ कस्टम दुकानों में ही मिले। यह आपको कहीं भी मिल सकता है। एक कस्टम ऑफिसर ने बताया कि वैसे विदेशी सामान को जब्त किया जाता है, जिसकी ड्यूटी पे नहीं होती है। उसपर केस चलता है। सक्षम अधिकारी उसकी सुनवाई कर फैसला देते हैं। पकड़े गए सामान के मालिक के सामने आने पर ही नीलामी का आदेश होता है, वर्ना केस आगे चलता रहता है। ऐसे में कस्टम डिपार्टमेंट की ज्वाइंट प्राइसिंग कमेटी सामान का प्राइस तय करती है। फिर उस सामान को नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन को दे देती है। फेडरेशन यह सामान रजिस्टर्ड सोसायटी को देता है।

यह तो पुलिस का काम है
सोसायटी इस सामान को कहीं भी बेच सकती है। आम आदमी से लेकर दुकानदार तक को वह सामान बेचती है। अधिकारी ने बताया कि यह जरूरी नहीं कि जब्त सामान सिर्फ कस्टम नाम की दुकानों में ही मिले, यह कहीं भी मिल सकता है। नकली प्रोडक्ट के सवाल पर उन्होंने बताया कि यदि बंग्लादेश या दिल्ली प्रोडक्ट होगा, तो नकली ही होगा। कस्टम में सिर्फ विदेशी सामान ही आता है। अब उस दुकान में नकली सामान मिलता है, तो यह पुलिस का मामला है.

कहां से आता ब्रांडेड?
एक दुकानदार ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हमलोग यह माल दिल्ली से लाते हैं। वहां सारे प्रोडक्ट्स काफी सस्ते मिलते हैं। उनमें ब्रांडेड टैग भी होता है। कपड़ा, जूता से लेकर एसेसरीज तक आसानी से मिल जाते हैं, जिसे लोग ब्रांडेड सामान समझते हैं। सस्ता होने के कारण लोग यहां से खूब सामान खरीदते हैं। दिल्ली के अलावा बंग्लादेश व नेपाल से भी ऐसे माल आते हैं। इसमें ज्यादातर ब्रांडेड कंपनियों के माल होते हैं। कंकड़बाग के कस्टम दुकान में कपड़े का बिजनेस होता है। यहां लोकल से ब्रांडेड तक कपड़े व एसेसरीज अवेलेबल हैं। अशोक राजपथ पर कस्टम के जूते व एसेसरीज की दुकान हैं, जहां कस्टमर्स की जबर्दस्त भीड़ लगी रहती है। मौर्यालोक में कस्टम की दो दुकानें हैं। दोनों दुकानों में मल्टी प्रोडक्ट अबेलेबल हैं। राजेंद्र नगर में भी कस्टम की जूते, एसेसरीज की दुकानें हैं. 

कहां-कहां हैं कस्टम की दुकानें
कंकड़बाग, राजेन्द्र नगर, अशोक राजपथ, नाला रोड, मौर्यालोक में दो दुकानें, पाटलिपुत्र.

क्या-क्या मिलता है?
लेडीज व जेंट्स ड्रेस, जूते, बेल्ट, इलेक्ट्रॉनिक्स इक्वीपमेंट्स, परफ्यूम, विदेशी इक्वीपमेंट्स प्रोडक्ट.