पटना (ब्यूरो)। बिहार से अलग मिथिला नाम से अलग राज्य के लिए माहौल बनने लगा है। इस बहुप्रतीक्षित मांग के लिए अब निर्णायक लड़ाई की बात हो रही है। इन्ही मुद्दों को लेकर मिथिला स्टूडेंट यूनियन द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 'पृथक मिथिला राज्यÓ हेतु राजभवन मार्च का आयोजन मिथिलवादी नेता रजनीश प्रियदर्शी के नेतृत्व में किया गया। मिथिला के तमाम जिलों से हजारों की संख्या में इंकलाबी नौजवान पटना में अपने अधिकार पृथक मिथिला राज्य के जल्द गठन के लिए पटना पहुंचे थे।

पूर्ण राज्य बनने लायक है मिथिला

मार्च से पूर्व वक्ताओं ने गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के समक्ष एक सभा को संबोधित किया, जिसमें प्रमुख वक्ताओं ने कहा कि मिथिला राज्य के लिए निर्णायक लड़ाई लडऩे का समय आ गया है। यह लड़ाई मिथिला-मैथिली, मिथिलावाद व 7 करोड़ मैथिलों का प्रतिनिधि संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन लड़ेगी। भाषा, लिपि, क्षेत्र, जनसंख्या और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के मानक पर खरा उतरते हुए मिथिला पूर्ण राज्य बनने का अधिकार रखता है। मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए अलग स्वतंत्र राज्य का गठन जरूरी है। आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन होना जरूरी है। मिथिला की गौरवशाली संस्कृति की पहचान को कायम रखने के लिए पृथक राज्य का गठन न सिर्फ प्रासंगिक है बल्कि यह सभी जरूरी मांगों को भी पूरा करता है।

सरकार की उपेक्षा का शिकार

मार्च से पहले वक्ताओं ने कहा कि मिथिला क्षेत्र की आबादी 40 मिलियन है और यह बिहार विधानसभा के लिए 22 सांसदों और 126 विधायकों का चुनाव करता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतना बड़ा क्षेत्र और आबादी होने के बावजूद एक अलग राज्य बनना बाकी है। मिथिला आज भी सरकारी उपेक्षा के कारण लगातार पिछड़ेपन का शिकार होने को मजबूर हो रहा है। इस कारण ना तो पलायन का कोई ठोस निदान अब तक निकल पाया है और ना ही संवैधानिक भाषा के रूप में अब तक मैथिली को यथोचित अधिकार ही प्राप्त हो सका है। मिथिला राज्य का निर्माण हो, जिससे मिथिला का ओद्योगिकरण और विकास संभव होगा।

कई समस्याएं भी हैं मिथिला क्षेत्र कई प्रकार की

समस्याओ से भी घिरा है और अलग राज्य की लड़ाई लड़ रहे लोगों का कहना है कि अलग राज्य से ही कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। यहां प्रशासन सुस्त है, मुफ्त बिजली, पेयजल, शौच, गंदगी का बहाव व्यवस्थापन के लिए, मिथिला दूसरे देश के सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण विशेष सुरक्षा के लिए, मिथिला में कई बड़े -बड़े नदी है महानंदा , कोसी , गंडक , कमला , बालन ,बूढी गंडक , गंगा। इन सभी नदी का भी नुकसान के अलावा फायदा नहीं हुआ, इतनी नदी होने के बावजूद स्थानीय निवासी बिजली पानी कि समस्या से परेशान है, इसलिए इन सबकी रक्षा और इनसे सुरक्षा के लिए राज्य स्थापना के बाद ही इस क्षेत्र के सर्वागीण विकास की बात सोची जा सकती है। बेरोजगारी, कृषि, उद्योग, पर्यटन एवं संस्कृति के विकास से ही इस क्षेत्र का कायाकल्प हो सकता है। इसके बाद ही यहां से पलायन रूक सकता है। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष अमित ठाकुर, जीप। सदस्य सागर नवदिया, मिथिलावादी पार्टी के अध्यक्ष शरत झा, संयोजक संतोष मिश्रा, अविनाश भारद्वज, विद्या भूषण राय सहित हज़ारों मिथिलवादी सैनानी शामिल थे।